________________ सम्मतियां जैन आगम साहित्य भारतीय संस्कृति के आधार ग्रन्थ हैं। इनमें जैन धर्म के विषय में बहुमूल्य सामग्री के साथ समकालीन समाज के विभिन्न पक्षों पर महत्वपूर्ण सामग्री प्राप्य है। हिन्दी में इस प्रकार के प्रबन्ध के अभाव की इस ग्रन्थ से यथेष्ट पूर्ति होती है। भारतीय इतिहास और संस्कृति पर नया प्रकाश डालने के लिए लेखिका का प्रयास सराहनीय है। लल्लनजी गोपाल जैन साहित्य प्राचीन भारतीय राजनीतिक, धार्मिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। अनेक विद्वानों ने इस पर शोध किया है, परन्तु इस दिशा में बहुत कुछ कार्य शेष रह गया है। इस दृष्टि से डा. (श्रीमती) रेखा चतुर्वेदी का जैन आगम : इतिहास एवं संस्कृति नामक शोधग्रन्थ प्राचीन भारत के सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक इतिहास के क्षेत्र एक विशिष्ट योगदान है। डॉ. बी.एन.एस. यादव लेखिका ने श्रमपूर्वक और ऐतिहासिक मर्यादा के अनुरूप जैन साहित्य, विशेषतः आगम साहित्य का ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से विवेचना प्रस्तुत की है। प्रस्तुत ग्रन्थ जैन विद्या के अतिरिक्त भारतीय विद्या के अध्ययन में रुचि रखने वाले लोगों के लिए भी समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगा, ऐसा मेरा विश्वास है। डा. मारुति नन्दन तिवारी अनामिका पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स (प्रा.) लिमिटेड