________________
जैन नीतिशास्त्र का स्वरूप. 233
261. द्र० जैन इथिक्स, पृ० 1451 262. भवियव्वं भावंतो अणुमण विरओ हवे सो दु। द्र० वही 263. द्र० इथिकल डाक्ट्रिन्स इन जैनिज्म, पृ० 1151 264. द्र० जैन धर्म, पृ० 441 265. डा० सागरमल जैन, जैन आचार दर्शन का तुलनात्मक अध्ययन, तुलसीप्रज्ञा अंक 5, सन्
1976, पृ० 721