________________
आर्थिक दशा एवं अर्थव्यवस्था • 297 द्वीन्द्रिय तथा त्रीन्द्रिय जीवों के अन्तर्गत आते हैं।296 __ अन्धिका, पौत्तिका, मक्षिका, भ्रमर, कीट, पतंग, दिकुण, कुंकुण, गिरीट, कुक्कुड़, नन्दावर्त, बिच्छु, डोल, भुंगरीटक, बिरली, अक्षिवेधक, अपक्षल, मागघ, अक्षिरोड़क, विचित्र-पत्रक, चित्र-पत्तक, ओहिंजलिया, जलकारी, नीजक तथा तन्तक की चर्चा चतुरीन्द्रिय जीवों के अन्तर्गत की गयी है।297
मत्स्य, कच्छप, ग्राह, मकर और सुंसुमार, पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीव हैं।298
छिपकली, नेवला, साही, मेढक, गिरगिट, खोरस, गृहकोकिका छिपकली, चूहे, विश्वम्भरा, बिच्छू, पाइलिय, गाह, चौपइया299 तथा कछुआ300 पंचेन्द्रिय लौकिक जीवों के अन्तर्गत आते हैं। __मछलियों301 के अनेक प्रकारों की चर्चा जैनसूत्र में हुई है जैसे रोहित,302 समुद्री मछली,303 तिमिंगला व्हेल निरुद्ध और तितिलिका।304 मगरमच्छ,305 छिपकली और कछुआ306 तथा मेढक 307 का भी उल्लेख प्राप्त होता है। सांप308 भी दो प्रकार के बताये गये हैं-(1) सर्प तथा (2) परिसर्प।
परिमर्प भी दो प्रकार के बताये गये हैं-(1) भुज परिसर्प-हाथों के बल चलने वाले गोह आदि। (2) उरः परिसर्प-पेट के बल चलने वाले सांप आदि। सर्पो की श्रेणी में महोरग का भी नामोल्लेख हुआ है जिसकी लम्बाई एक हजार योजन होती है।309
जीव जन्तुओं का वर्गीकरण इस काल की पर्यावलोकन की सहजवृत्ति को दर्शाता है जिसके लिए महावीर और बुद्ध का काल बुद्धिवादी (विभिज्जावाद) तार्किकता के लिए सुख्यात हो गया था। यह वृत्ति छठी शताब्दी की देन है क्योंकि इससे पूर्व ऐसी प्रवृत्ति हमें वैदिक साहित्य में उपलब्ध नहीं होती।
उपभोग
औत्पादनिक क्रान्तिशीलता समाज की प्रवर्धनशीलता का आधार है। वैज्ञानिक और प्राविधिक विकास पर आधारित समृद्धता उपभोग की सुविधाओं को सर्वसुलभ बनाने की दिशा में चरणनिक्षेप करती है। इस क्रान्ति का मूलाधार है ऐसे ज्ञान की खोज जो भौतिक प्रवृत्ति को स्वायत्त कर भौतिक उपादानों के द्वारा भोग सम्पादन में समर्थ है। विज्ञान, प्राविधि और औद्योगिक उत्पादन मानवीय भोगों को आशातीत वैचित्र्य, प्राचुर्य और सौलभ्य प्रदान करते हैं। ऐसी स्थिति में मानवीय कर्मों का लक्ष्य सामाजिक अभ्युदय और सामाजिक अभ्युदय का अर्थ भौतिक साधनों और सुखों की वृद्धिशीलता पर स्थिर होना है।
भौतिक विकास केवल उपभोग का विकास नहीं है अपितु मानवीय ऐश्वर्य, अवकाश और सुविधाओं का भी विकास है और इस प्रकार वह मनुष्य को स्थूल