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समाज दर्शन एवं समाज व्यवस्था • 257
पृ०74-761 122. दीर्घ निकाय,1,51 123. ठाणांग-III, 202: सोशल लाइफ एज डैपिक्टेड इन दी अर्ली जैन कैनन्स, पृ० 194। 124. शूद्रा का प्राचीन इतिहास, पृ० 1201 125. राय चौधरी, अर्ली हिस्ट्री आफ वैष्णव सैक्ट, पृ०71। 126. शूद्रों का प्राचीन इतिहास, पृ० 971 127. विनयपिटक, पृ० 181-82। साकियदास का अवरुद्धा होन्ति - साकियनियो
अच्छिदिमिसु च। 128. बौधायन धर्मसूत्र-II, 2/4/18 आत्मत्राणे वर्णसंवर्गे - वसिष्ठ धर्मसूत्र,III, 24-25:
द्र० फुहरर, वसिष्ठ धर्मसूत्र की प्रस्तावना, पृ० 5। 129. तु० वेस्टरमन्न, दी स्लेव सिस्टम्स आफ ग्रीक एण्ड रोमन एन्टिक्विटी, पृ० 37: ग्रीकों
और रोमनों के युद्ध में दासों से योद्धा का काम नहीं लिया जाता था। 130. रामशरण शर्मा, शूद्रों का प्राचीन इतिहास, पृ० 1251 131. आचारांग सूत्र, आत्माराम जी महाराज,II, 1/1, पृ० 754-56। 132. वही। 133. वही। 134. वही, 1/4, पृ० 8121 135. वही, 1/5, पृ० 829-301 136. वही, पृ० 8391 137. वही, पृ० 843-441 138. वही, पृ० 8601 139. वही।