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260 • जैन आगम : इतिहास एवं संस्कृति
हैं किन्तु भगवतीसूत्र में उल्लिखित मालवक और मोली भिन्न हैं जिनका समीकरण अंगुत्तर निकाय के अवन्ति और मल्ल से किया जा सकता है। 3
यह महाजनपद विदेह के पतन के पश्चात् वज्जिसंघ के उत्कर्ष तथा महाकोसल द्वारा कोसल के साम्राज्य में काशी में विलय के पूर्व के हैं।
महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाएं
इस समय की राजनीति की सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना चतुष्कोणीय 14 संघर्ष है जिसमें काशी, कोसल, मगध तथा वज्जि के महत्वाकांक्षी शासक उत्तरपूर्वी भारत पर अपना राजनीतिक आधिपत्य तथा साम्राज्य की प्रतिष्ठा स्थापित करना चाहते थे।
वज्जिसंघ की सैन्यशक्ति उत्तर भारत में वैशाली राज चेटक के नेतृत्व में विकसित हो रही थी। राजा चेटक अपने मित्रों के साथ संगठित था जिनमें नौ मल्लकी, नौ लिच्छवी तथा काशी, कोसल व उनके अट्ठारह गणराजा सम्मिलित थे।'' दूसरी ओर झगड़े में अगुआ रहने वाली मगध की राजशक्ति थी जिसका प्रधान विदेहपुत्र कुणिक अजातशत्रु था जो कि अपनी राजधानी राजगृह से मगध के प्रसार और स्वयं के अभ्युत्थान में निरत था । "
जैनग्रन्थ कल्पसूत्र” तथा सूत्रकृतांग " से ज्ञात होता है कि मगध साम्राज्य का सामना करने के लिए लिच्छवियों ने पूरा प्रयास किया व मित्रराज्यों के साथ मिलकर संगठन बनाया जिससे मगध साम्राज्य का नियन्त्रण किया जा सके किन्तु फिर भी उत्तर पूर्वी भारत में शक्ति संतुलन स्थापित न हो सका । महत्वाकांक्षी साम्राज्यवादी शासकों के बीच दो ऐतिहासिक युद्ध होकर रहे जो महाशिलाकण्टक” संग्राम तथा रथमूसल संग्राम 20 के नाम से ज्ञात हैं। यह दोनों युद्ध महावीर भगवान को ज्ञात थे। इन दोनों युद्धों से मगध, वैशाली, काशी तथा कोसल के मध्य अन्तर्राज्यीय सम्बन्धों तथा युद्ध की प्रकृति व प्रकार पर प्रकाश पड़ता है।
युद्ध के एक दृश्यानुसार कुणिक ने यह जानकर कि वज्जिसंघ से भयानक महाशिलाकण्टक संग्राम शुरू हो गया है अपनी सेना को तुरन्त प्रमुख हांथी उदायिन को सजाने तथा चतुरंगिणी सेना को जिसमें पदाति, हाथी, रथ और घुड़सवार थे सजाने का आदेश दिया। उसके आदेश के साथ ही सेना ने तुरन्त प्रयाण किया व तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा तैयार किये व्यूह में सेना बंट गयी व द्रुत गति से सम्पूर्ण सेना के युद्ध में प्रवृत्त होने की सूचना राजा को दे दी गयी। इसके पश्चात राजा कुणिक ने धार्मिक संस्कार किया और चतुरंगिणी सेना तथा अन्य पदाधिकारियों जैसे भाट, चटकार आदि के साथ महाशिलाकंटक संग्राम की ओर