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असण,
कड़वा तूम्बा'", नीम,
कटुक रोहिणी”,
पाम वृक्ष,
चन्दन,
पद्यम,
बांस", पीपल 2.
अमरात”
जिघिरा 74,
288 • जैन आगम : इतिहास एवं संस्कृति
शतगु”,
अम्बर 76,
पिलांखु”,
न्यग्रोध',
नियूर”,
अश्वत्थ
सल्लकी",
धातकी 82,
शाल,
इसके अतिरिक्त इक्षुमेरु, अंककरेलु, कसेरु, संघाटिक तथा पुटियाल 84 नामक पौधों के नाम प्राप्त होते हैं।
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विभिन्न घासों में इक्कटा, जन्तुक, कुशा, पारा या पराग, कुक्खा जल कुमुदनी, मोराग मयूर पंख या मोरपांखी, " पापक तथा रालग व कुक्कक नाम प्राप्त होते हैं। 87
जल में उत्पन्न विभिन्न वनस्पतियां जिनमें जलतत्व निहित हैं उनके नाम इस प्रकार मिलते हैं- उदग, आवग, पानग, शैवाल, कलम्बुय कदम्ब कसेस, चक्खमाणिय, उप्पल, पौम, कुमुद, नलिन, सुभागसेणिय, पौण्डरीय, महापौण्डरीय, सयावत्ता, सहसावत्ता, कलहार, कोकन्द, तामरस, पुक्खल तथा पुक्खलदिठी । **
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भूमिज वनस्पतियों इस प्रकार हैं-आय, काय, कुहण, कंदु, उत्वेहलिय, निव्वेहलियां ऐषव, सक्ख, खटग्ग, वासानिय । 89