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200 • जैन आगम : इतिहास एवं संस्कृति
सम्यक्
भगवतीसूत्र'4' में मरण के दो भेद - बाल और पण्डित किये गये हैं। बाल मरण के बारह प्रकार हैं और पण्डितमरण के दो प्रकार । कुल मिला कर चौदह भेद यहां मिलते हैं। बालमरण के बारह भेद हैं- (1) वलय, (2) वशार्त, (3) अन्त: शल्य, (4) तद्भव, (5) गिरि- पतन, ( 6 ) तरुपतन, (7) जलप्रवेश, (8) अग्निप्रवेश, (9) विषभक्षण, (10) शस्त्रावपाटन, (11) वैहायस तथा (12) गृद्धपृष्ठ | 142
पण्डितमरण के दो भेद हैं- (1) प्रायोपगमन और (2) भक्तप्रत्यास्थान | 143 स्थानांगसूत्र144 में मरण के तीन भेद बताये गये हैं- (1) बालमरण - असंयमी का मरण, (2) पण्डितमरण-संयमी का मरण, (3) बाल पण्डित मरणसंयमासंयमी का मरण ।
समवायांग 45 में तथा मूलाराधना में मरण के सत्तरह प्रकारों का उल्लेख है जिनका विस्तार विजयोदयावृत्ति में मिलता है—
समवायांग
(1) आवीचि मरण (2) अवधि मरण (3) आत्यन्तिक मरण
(4) वलन्मरण (5) वशार्तमरण
(6) अन्त: शल्य मरण
(7) तद्भव मरण
(8) बाल मरण
(9) पण्डित मरण (10) बाल पण्डित मरण
मूलाराधना 46 (विजयोदयावृत्ति)
(1) आवीचि मरण
(2) तद्भव मरण
(3) अवधिमरण
(4) आदि अन्त मरण (5) बाल मरण (6) पण्डित मरण
(7) अवसन्न मरण (8) बाल पण्डित मरण
(9) सशल्य मरण
(10) वलयमरण
(11) छदमस्थ मरण
(12) केवल मरण (13) वैहायस मरण
(11) व्युत्सृष्ट मरण (12) विप्रनासमरण
(13) गृद्धपृष्ठ मरण
(14) गृद्धपृष्ठ मरण (15) भक्त प्रत्याख्यान मरण (16) इंगिनी मरण
(14) भक्त प्रत्याख्यान मरण (15) प्रायोपगमन मरण (16) इंगिनी मरण
(17) प्रायोपगमन मरण
(17) केवली मरण
उक्त सत्तरह प्रकार के मरणों की संक्षिप्त व्याख्या इस प्रकार है—