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जैन संघ का स्वरूप • 129
वाले या देने वाले को दोष लगता है। 217 श्रमण को दोषयुक्त भोजन स्वीकार नहीं करना चाहिए | 218
एषणा या उद्गम दोष
भोजन समबन्धी ऐसे सोलह उद्गम दोष हैं जिनके कारण भोजन श्रमण के लिए अनुपयुक्त हो जाता है।
(1) औद्देशिक
(2) आधाकर्मिक
(3) पूतिक
(4) उन्मिश्र
- जिसका एक भाग विशेष रूप से विवादास्पद श्रमण के लिए बनाया गया हो। 221 (5) स्थापनाकर्मिक – भिक्षु या श्रमण के लिए आरक्षित । (6) प्राभृतिक
- किसी उत्सव के लिए विशेष रूप से बनाया गया।
(7) प्रादुहकरण
- यदि गृहस्थ को भिक्षा देने के लिए दीपक प्रज्वलित करने की आवश्यकता पड़े।
(8) क्रीत
(9) प्रामित्य
(10) परावृत्ति
(11) अध्याहृत (12) उद्भिन्न
(13) मालाकृत (14) अक्खिड्य (15) अनिसृष्ट
(16) अध्यवपूर
-गृहस्थ ने किसी विशिष्ट श्रमण के लिए बनाया हो । 219 -यदि यह भोजन गृहस्थ ने किसी भी सम्प्रदाय के साधु लिए बनाया हो ।
के
- भोजन का अधिकांश शुद्ध हो किन्तु कुछ भाग दोषयुक्त हो 1220
-जबकि निर्ग्रन्थ के लिए गृहस्थ को भोजन खरीदना पड़े 1222
- उसे भोजन निकालने के लिए नसैनी की आवश्यकता पड़े 1223
- जबकि गृहस्थ भोजन के कुछ भाग को अच्छे या बुरे भोजन से बदल दे।
- यदि गृहस्थ को कुछ दूर जाकर भोजन लाना पड़े। -यदि गृहस्थ को ताला खोलकर भोजन निकालना पड़े। - यदि उसे ऊंचे या नीचे से भोजन उठाना पड़े | 224 - यदि किसी अन्य से बलपूर्वक छीनकर लाया गया हो। -गृहस्थ यदि ऐसे भण्डार से भोजन दे जो साझे में हो तथा साझेदारों ने अनुमति नहीं दी हो।
- जिस समय श्रमण भिक्षा के लिए पहुंचे, भोजन बन रहा हो तथा श्रमण के लिए पकने के लिए आग पर और अधिक मात्रा में रख दिया जाये ।