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(१४)
चरकसंहिताविषयः पृष्ठांक. . विषयः
पृष्ठांक.. कर्मकृत आयतनका वर्णन . १२६
वायुके साधारण धर्म . १३९ वाणीके मिथ्यायोगका वर्णने १२७
मारीचिका प्रश्न .
. १४०
पित्तकी ऊष्माका वर्णन मानस मिथ्यायोग शारीरिक मिथ्यायोग
शरीरमें सोमकी प्रधानता
१४१
पुनर्वसुका सिद्धांत कर्मक मिथ्यायोगका संक्षिप्त वर्णन , कालातियोगादिका वर्णन
अध्यायका संक्षिप्त वर्णन रोगोंके कारण
१३. स्नेहाध्याय ।
अग्निवेशका प्रश्न तीन प्रकारके रोग
१४३ पुर्नवसुका उत्तर
१४४ हितकर्तव्य रोगोंके तीन मार्ग
रोगविशेषोंमें तैलोंकी उत्कृष्टता बहिर्मार्गज रोगोंके नाम
घृतके गुण शाखानुसारी रोग
तैलके गुण मध्यमार्गानुसारी रोग
वसाके गुण कोष्ठानुसारी रोग
मजाके गुण
१३१ तीन प्रकारके वैद्य
स्नहपानका समय
स्नेहपर अनुपान भिषक्छद्मचरके लक्षण
स्नेहकी विचारणा सिद्धसाधित वैद्यके लक्षण
असंयुक्त स्नेहका वर्णन वैद्य गुणयुक्तके लक्षण
स्नेहकी चौसठ विचारणा औषधियोंके भेद
१३२
मात्राओंका वर्णन शारीरिक रोगोंमें आषैध भेद
उत्तम मात्राके योग्य पुरुप बालकोंकी अज्ञानताका.फल
प्रधानमात्राके गुण .
१४८ मनुष्यका कर्तव्य
१३४
मध्यममात्राके योग्य पुरुष अध्यायका उपसंहार
हस्वमात्राके योग्य पुरुष , १२. वातकलाकलीय अध्याय। घृतपानके योग्य व्यक्ति वायुके विषयमें ऋषियोंका प्रश्न १३४ तैलपानके योग्य व्यक्ति सांकृत्यायनकुशका मत . १३५ सापानके योग्य पुरुप भरद्वाजका मत
मजापानके योग्य पुरुप वाहूलीकका प्रत
स्नेहपानकी अवधि बडिश घामार्गवका मत .
स्नेहकर्मके योग्य पुरुप वायोविदका मत
स्हर्कमेक अयोग्य व्यक्ति वायुके भेद और कर्म
अस्निग्धक लक्षण .. कुपित वायुके कर्म
१३८ सम्यक् स्निग्धके लक्षण बाह्यवायुके कर्म .
अतिस्निग्धके लक्षण कुपितबाह्य वायुके कर्म
स्नोपनके पूर्व कर्तव्य कर्म
१५०
१३७