________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकत्रिंशत्तम अनुयोगद्वार मूत्र-चतुर्थ मूल. 48 याएपएसट्टयाए दव्वटुपएसट्टयाए कयरे २हिंतो अप्पाचा बहुयावा तुल्लाबा विसेसाहियावा? गोयमा ! सव्वत्थोवाइंगम ववहाराणं अवत्तव्यग दव्वाण दव्वट्ठयाए अणाणुपुथ्वी दवाई दव्वट्ठयाए विसेत्साहियाई आणुपुवी दव्वाइं दव्वट्ठयाए असंखज्जगुणाइ पएसट्टयाए-णेगम ववहाराणं-सव्वत्थोवाइं अणाणुयुब्बी दवाई, अप्पएसट्टयाए अवत्तव्वग दव्वाइं, ९एसट्टयाए विसेसाहियाई, आणुपुव्वी दवाइं पएसट्टयाए अणंत गुणाई दबट्टएपसट्टयाए-सबत्योवाई णेगम ववहाराणं अवत्तव्वग दव्याई दवट्ठयाए, अणाणुपुवी दवाइं दवट्ठयाए अपएसट्टयाए विसेसाहियाई, अवत्तव्वग दवाई पएसट्टयाए विसेसाहियाई, आणुपुञ्वी दवाई दवट्ठयाए किस से अल्प, बहुत, तल्य व विशेषाधिक है ? अहो गौतम ! सब से थोडे अवक्तव्य द्रव्य द्रव्य E आश्री, इस से अनानुपूर्वी द्रव्य द्रव्य आश्री विशेषाधिक और इस से आनुपूर्षी द्रव्य. द्रव्य आश्री असं ख्यातगुने अब प्रदेश आश्री कहते हैं. नैगम व्यवहार नय के मत से सब से थोडे अनानुपूर्वी द्रव्य प्रदेश भाश्रीक्यों होवे कि एक प्रदेश है इस से अवक्तव्य द्रव्य प्रदेश आश्री विशेषाधिक क्यों कि द्विपदेशिक है इस सेआनुपूर्वी द्रव्य प्रदेश आश्री अनंतगुने क्यों कि तीन से अनंत पर्यंत प्रदेश रहे है अब द्रव्य प्रदेश की साथ अल्पाबहुत्व कहते है-नैगम व्यवहार नय के मत से सब से थोडे अवक्तव्य ट्रव्य द्रव्य आश्री.इस से अनानपूर्वी द्रव्य द्रव्य व प्रदेश आश्री विशेषाधिक,इस से अवक्तव्य द्रव्य द्रव्य प्रदेश आश्री विशेषाधिक,इस से आनुपूर्वी द्रव्य 3. A8+ अनुगम विषय 85Qg 3 For Private and Personal Use Only