________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सत्र अणेगविहे पण्णत्ते तंजहा-कण्णा, वीणा, माला, सेत्तं अणेगक्खरिए // अहवा दुनामे दुविहे पण्णत्ते तंजहा--जीवनामे, अजीवनामेय // से किं तं जीयनामे ? जीवनामे अणेगविहे पण ते तंजहा-देवदत्ते, जिणदत्ते, विष्णुदत्ते, सोमदणे, से तं जीवनामे // से किं तं अजीवनामे ? अजीवनामे अणेगविहे पाते तंजहाघडो पडो कडो रहो, से तं अजीवनामे ! // 97 // अहवा दुनामे दुविहे पण्णचे तंजहा-अविससिएय, विसेसिएय // अविसेसिए दब्वे विससिए जीवदव्वे अजीव अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिजी प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवस हायजी ज्वालाप्रसादजी* अर्थ कहते है ? अहो शिष्य ! जिस के उच्चारण में एक ही अक्षर है जैसे-ही, श्री, धी. स्त्री, और जिसके उच्चारण में अनेक अक्षर हो सो अनेकाक्षरिक मैसे कन्या. लता, वीणा, माला, अथवा द्विनाम के दो भेद किये हैं तद्यथा- जीव नाम, 2 अजीव नाम. अहो भगवन् ! जीव नाय दिसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! जीव नाम अनेक प्रकार से प्रतिपादन किया है तद्यथा-देवदत्त, यज्ञदत्त. सोमदत्त, यह जीव संज्ञक नाम है. अहो भगवन् ! अजीव नाम किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! अनीव नाम के अनेक भेद कहे हैं तद्यथा-घट. पट, रथ. केट, यह अजीव नाम का कथन हुवा // 97 // अथवा द्विम के दो भेद को विज्ञपिक व विशेषिक. अविशेषिक नाम का अर्थ यह है कि जो नाम सर्व | For Private and Personal Use Only