________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स 48 अनुवादक बारब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋपिजी अट्टविहं // 1 // से किं तं करम नामे ? कम्मनामे ! तणहारए,' कटुहारए, पत्ताहारए. दोसीए. मोत्तिए, कप्पासिए, भंडये, आलिए, कोलालिए. से तं कम्म नामे // से किं तं सिमानासे ? लिप्पनामे ! बस्थिए, तंतिए तुत्राए, तंतवाए कडकारे, पटकारे, छसकारे, चित्तकरे, दतकारे, लेप्पकारे. कोहिमकार से तं सिप्पनामे // से किं तं सिलोयनामे ? सिलोएनामे ! समणे, माहणे, सवातिही, से तं सिलोगनामे // से कि तं संजोयनामे ? संजोयनामे ! अर्थात् तृण काष्ट व पत्र लाने वाला, दौहिक-वस्त्र बेचने वाला. सौत्रिक. सूत्र बेचने वाला, कार्यासिककपास वेचने वाला, कौलालिक- भाजा. बेचने वागा, भांड वैचारिक-कांस्यादिक का विक्रय करने वाला यही कर्म नाम है. प्रश्न-शिल्प नाम किसे कहते हैं? उत्तर-शिल्प नाम इस प्रकार से हैं. वस्त्र के शिल्प का ज्ञाता सो वास्त्रिक, इसी प्रकार तक लुओं का माहार करने वाला, तंतुवाय, पइवाय, तंठ उवइ. वसट, भुंज के कर्म करने वाले मुंजकरकाष्टकार, छत्रकार, वस्त्रकार ! पुस्तकारक पुस्तक लिखने वाला, चित्रकार, नकार, शिध्यकार, लेपकार, भूपि आदि सम्मान करने वाला कोहिमकार, यह सब शिल्प नाम का कथन हुआ.पनलाघनीय तद्धित नाप किसे कहते हैं ? उत्तर| श्लाघा पूर्वक तद्धित नाम निम्न प्रकार से है श्रमण, ब्राह्मण सर्व अतिथिये सब स्तवनीय नाम साधु प्रकाशक-जावहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी For Private and Personal Use Only