________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सत एगसेसे ! जहा एगो पुरिसो तहा बहवे पुरिसा, जहा बहवे पुरिसा तहा एगो पुरिसो, जहा एगा करिसावणो तह बहवे करिस बणा, जहा बहवे करिसावणा तहा एगो करिसायो, जहा एमालाली ता बहवे साली, जहा बहवे साली तहा एगासालं, से तं एसेप // से त सलासिए // 14 // से किं तं ताद्धगीए? तहितीए ! अरिहे पण सा तंजहा-१ ( माह ) कम्मे, 2 मिर, 3 सिलोए, 4 संजोग, 5 समीरउय, 6 संजुहे, // 7 इरसरिय, 8 अवत्यणेय, तद्धित नामंतु रही नहीं. अब इस के टांत जैसे एक पुरूप है वैसे ही अन्य बहुत पुरुष हैं और जैसे बहुत पुरुष हैं। ' वैसे ही एक होता है. जैसे एक शाली है वैसे ही अन्य शाली है और जैसे अन्य शाली है वैसे ही एक शाली है. जैसे एक गुवर्ण पुद्रा है. वैसे ही अन्य बहुत सुवर्ण मुद्रा है और जैसे अन्य बहुत सुवर्ण मुद्रा है वैसे ही एक सुवर्ण मुद्रा है. यह एक शेष समास हुवा यह समास का कथन संपूर्ण हुवा. // 14 // अहो भगवन् ! तद्धित किसे कहते हैं ? अहो किप्य ! तद्धित के प्रत्यय लगने से जो नाम होता है। उसे तद्धितज कहते हैं. इस के आठ भेद कहे है तद्यथा-५ कर्म नाम 2 शिल्प नाम. 3 श्लोक नाम, 4 संयोग नाम, 5 समीप नाम, 6 संयूथ नाम, ऐश्वर्य नाम और 8 अपत्य नाम. प्रश्न-कर्म नाम किसे कहते हैं ? उत्तर-कर्म नाम के उदाहरण निम्न प्रकार से हैं जैसे-तृण हारक, काटहारक. पत्रहारक' 43800-380% नाम विषय एकत्रिंशत्तम-अनुयोगद्वार 802280 * For Private and Personal Use Only