________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्र JOD एकत्रिंशत्तम-अनुयोगद्वार सूत्र चतुर्थ मूल 04 भंत! सरीरा पणता? मोयमा!पंचसरीरा पण्णत्ता-उरालए,वेउव्वए,आहारए, ते अएकम्मए नेरइयाणं भंते ! कति सरीरा एण्णता? मोयमातओ सरीरा पण्णता तंजहा-वेउत्रिए तेयए कम्मए, असरकमाराणं भंते! कति सरीर पण्णगोमायना तो सरीरा पत्ता तंजहा-विउव्वए तेयए कम्मर, एवं तिष्णि तं मीरा जाम थपियकुमारापुढवि काइयाणं भंते कति सरीरा पचा?गोयमानिओ सरीरा पा स्वत्साजना ओसलिए तेयए कम्मए एवं आउ. तेउवणसइ काइमाणवि,एते चव लिणि सरीरा भाणियबा, वाउकाइयाणं? गोयमा ! चत्तार सरीरा पणत्ता तंजहालिए वे उधिनेथए, NRS Agमाण विषय 20 भगवन् ! शरीर कितने कहे? अहोशिय ! शरीर पांच प्रकार के को है. ताया-१ औदारिक #2 वैक्रेय. 3 आहारक, 4 तेजस, और 5 कार्माण. अहो भगवन् ! नेरोये के कितने शरीर हैं ? अहो / है मौतम ! तीन शरीर दहे हैं तद्यथा-१ चक्रेय. 2 तेजम. और 3 काम से ही प्रश्रोत्तर आगे भी. औ स्थान जानना) असुर कुमारादि दनों ही भुवाति देव के 3 अरीर-१ बैक्रेय,२ तेजस. 3 कार्याग. पृथ्वी पानी तेउ और पनस्पति इन चारों स्थार के तीन 3 -1 और विक, 2 तेजस और 3 कार्माण. वायुकाया के चार भरीर--५ आदारिक, : वैन.प, 3 तेजस, * कार्माण. बेइन्द्रिय, इन्द्रियः चौरिन्द्रिय के तीन शरीर-५ औदारिक, 2 तेजस, 3 कार्माण. तिर्यंच पंचन्द्रिय के वायुकाया। For Private and Personal Use Only