________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी 1 से किं तं सखजो ? संखेज्जा तिविहा पणता जहा-जहन्नए उक्कोसए अजहन्नमणुक्कोसए // से किं तं असंखजा? असंखेजा तिविहे पण्णते तंजहा-परिता संखेज्जा, जुत्तासंखजाअ असंखज्जासंखेज्जाए // से किं तं परित्ता संखेजाति? परित्तासंखेजति तिविहा पण्णत्ता तंजहा-जहन्नए, उक्कोमए, अजहन्नमणुकोसए // से किं तं जुत्तासंखज्जए ? जुत्तासखेज्जए तिविहे पण्णत्ते तंजहा-जहन्नए उक्कोसए अनन्ते // 50 // अहो भगवन् ! संख्यात किस को कहते हैं ! अहो शिष्य ! संख्याते तीन प्रकार है के होते हैं तद्यथा-१ जघन्य संख्याते, 2 उत्कृष्ट संख्याते और 3 अनघन्य अउत्कृष्ट (मध्यम) संख्याते अहो भगवन् ! असंख्याते किस को कहते हैं ? अहो शिष्य ! असंख्यात के तीन प्रकार कहे हैं. तद्यथा-१ परिता असंख्याते. 2 जुक्ता असंख्याते. 3 असंख्यात असंख्यात॥अहो भगवन! परिता असंख्यान किसे कहते है? अहो शिष्य परिता असंख्यात के तीन प्रकार कहे है तद्यथा-१ जघन्य, 2 उत्कृष्ट और 3 अजघन्योत्कृष्ट // अहो भगवन् ! जुक्ता असंख्यात किसे कहते ? अहो शिष्य! जक्ता असंख्यात तीन प्रकार के कहे हैं. तद्यथा-१ जघन्य, 2 उत्कृष्ट अजघन्यात्कृष्ट जुक्ता असंख्यात. असंख्यात किसे कहते है ? असंख्यात के तीन प्रकार 1 जघन्य 2 उत्कृष्ट, 3 जघन्योत्कृष्ट. अहो भगवन् ! अनंत किसे करते ? अहो शिप्य अनन्त के तीन प्रकार कहे हैं, *प्रकाशक-राजाबाहादुर ल.ला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी For Private and Personal Use Only