________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भावसामाइए ? आगमीय भावसामाईए जाणए उवउत्ते से तं आगमओ भाव. सामाइए॥ से किं तं नो आगमओ भावसमाइए ? नो आगमओ भावसामाइए ( गाथा ) जस्स सामाणिउ अप्पा संजमे णियमे तवे // तस्स सामाइयं होइ इइ केवलि भासियं // 1 // जो समो सव्व भूएसु, तसे सु थावरे मु य // तस्स सामाइयं होइ; इति केवलि भासियं // 2 ॥जह ममणपियदुखं, जाणिय एवमेव सव्वजीवाणं न हणइ न हणावइय, समणतितेण सो समणो // 3 // णत्थिसे कोइ वेसोपिओय, सव्वेसु चेव जीवेसु // एएणहोइ समणो, एसो अन्नोवि पजाओ // 4 // उरग, गिरि आगम से. अहो भगवन् ! आगम से भाव सामायिक किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! आगम से भाव सामायिक सो सामायिक सूत्रार्थ का जानकार उपयोग युक्त सामायिक का पाठ पढे यह आगम से भाव सामायिक हुई. अहो भगवन् ! नो आगम से भाव सामायिक किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! नो आगम से भाव सामायिक सो जिसने आत्मा स्थापन किया है संयम में नियम में तप में उस के सामायिक होवे ऐसा केवली ने कहा है // 1 // जो उस स्थावर सब जीवों पर सम भाव धारन करे उसे सामा. यिक होवे ऐसा केवलीने कहा है // 2 // जिस प्रकार मुझे दुःख होता है ऐसा ही सब जीवों को दुःख होता है ऐसा जानकर किसी भी जीव की घात आप करे नहीं अन्य के पास करावे नहीं, 2 अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी *प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी* अर्थ For Private and Personal Use Only