Book Title: Anuyogdwar Sutram
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Page 363
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी + पग्णत्ते तंजहा-मिक्खेय निति अणुगमे, उबुग्धाय निज्जुति अणुगमे, सुत्त फासिय निज्जुत्ति अणुगमे // से किं तं निक्खेवे निज्जुत्ति अनुगमे ? निक्खेव निज्जुत्ति अनुगमे अणुगमे, से तं निक्खव निजुति अनुगमे / से किं तं रघुग्घाय निज्जुति अणुगमे ? उबुग्घाय निज्जुति अणुगमे इमाहिं दोई गाहाहिं अणुगंतवे तंजहाव्याख्यान सव इस स्थान जानना उसे निक्षेप नियुक्ति अनुगम कहना. अहो भगवन् ! उपोद्धात नियुक्ति अनुगम किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! व्याख्या करने योग्य मूत्र की व्याख्या विधी समीप कहना अर्थात् उद्देशादि सूत्र कर प्रथम उस की व्याख्या करनाफिर सूत्र की व्याख्या करना उस का कथन आगे कही दोगाथा कर जानना तद्यथा-१ उद्देश सो सामान्य नाम रूप, 2 निदेश-नाम- कहना सामायिकादि अध्ययन, 3 निर्गम-सामायिक कहां से निकली? श्रृत समुद्र से निकली, 4 क्षेत्र शेसा ? सिद्धार्थ राजा के पुत्र महावीर स्वामीने अंगीकार किया, ५किस काल ? वैशाख शुक्र एकादशी 6 कौन पुरुष से पुरुष-इस काल में ऋषभ देव से ग्रगट हुवा, 7 किस कारण से मुना ! अहो शिष्य ! गौतम स्वामी आदिने भगवंत के पास से सुना, 8 कौन प्रतीत-केवल ज्ञान / काकी प्रतीरा, 9 वय लण-सम्यकत्व सामायिकका लक्षण, श्रद्धना प्ररूपना शुद्ध सो श्रुत सामामिक, चारित्र' सामायिक का निवृत्तिरूप लक्षण, 10 कौनसी नय ? यहां सामायिकपर सात मय उतारना, 11 किसमें प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी-ज्वालाप्रसादजी * For Private and Personal Use Only

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