________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 374 42 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी उच्चारेयव्वं, अखलियं, अमलियं, अवच्चामालयं , पडिपुन्नं, पडि पुन्नघोसं, कंट्ठोटविप्प मुकं, गुरुवायणोबगयं तउतत्थणिजिहिंति,ससमय पयंवा, परसमय पयंवा, बंधमोक्ख पयंवा, सामाइयं पयंवा, नो सामाइय पयंवा, तउतंमि उवरित्ते समाणे किसिचणं भगवंताणं केइ अच्छाहिगारा अहिगया भवंति, केइअच्छाहिगार! आणेहिगया सामायिक ? सम्यक्त्व के श्रुत के असंख्यात लाभ कर. प्रतिवर्जमान आश्रिय पुयक्त्व सहश्न. कोडी देश वृत्ति आश्रिय असंख्यात,२०प्रश्न-अन्नर कितना पडे? उत्तर-एक जीव आश्रिय अन्य अंतर्मुहूर्त उत्कृष्ट र अनंत काल आधा पुद्गल परावर्तन, २१प्रश्न-अविरह-सब जीवों आश्रिय विरह कहा नहीं. 22 सामायिक के कितने भव ? जघन्य आराधक आश्रिय दो भव उत्कृष्ट आठ भव पर्यंत लगोजा सामायिक आवे,२३ प्रश्न-आकर्षे-एक भव में तथा बहुत भव में वारम्बार आवे तो सम्यक्त्व असंख्यात वक्त एक भव आश्रिय सामा. यिक चारित्र पृथक्त्व सो वक्त,बहुत भव आश्रिय पथक्त्व हजार वक्त, 24 प्रश्न सामायिक कितना क्षेत्र स्पर्श ? उत्तर-जघन्य असंख्यातवा भाग एक जीव आश्रिय और केवली समुद्घात आश्रिय संपूर्ण लोक,और२ पतिरुक्ति सम्यक प्रकार युक्ति पद रूप लाभ की प्राप्ति हो वह सामायिक की निरुक्ति अर्थोत्पत्ति. यह उपोद घात नियुक्ति अनुगम हुवा. अहो भगवन् ! सूत्र फासिय नियुक्ति अनुगम किसे कहते हैं ? सूत्र फासिय नियुक्ति अनुगम सो. मूत्र का शुद्धोच्चार करना. सूत्र पढते स्खलना न होना, अन्य सूत्र के शब्द नहीं प्रकाशक-राजाबाहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालामसादजी* For Private and Personal Use Only