________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 488 एकायशत्तम-अनाम: तम-अनुयोगद्वार सत्र चतु-व मूल दिविवाय मुत परिमाण संखा ? दिट्टिवाय सुत परिमाण मंखा अणेगविहा पण्णता तंजहा---जवसंखा जाव अणउपदारसंखा पहुड रखा, पाहुडिसंखा, पाहुइ पाहुडियाखा वत्युवा. से दिन यम परिता संखा से तं पीरमाणसंखा // 99 // संकि जापाखा ? जाणण रखा जो जणइ तंजहा-सदसहिउ गणितंगाणिउ. निर्मित्तं नेमित्तिउ कालंकालणाणी वेजयंवजो से तं जाण मिखा // 1.. | // से किं तं गणणाखा ? गण गणसंखा ! एकोग. __णणं ण उवेइ दुप्पमितिरूखा तंजह!-खजाए रूखेकार अपतए // 10 // भगवन् ! दृष्टिवाद परिमाण संख्या किसे कहते है ? अहो शिष्य ! दृष्टीवाद परिमाण संख्या भी अनेक प्रकार कही है. तद्यथा-१-१० पर्यव संख्या यवत् अनुयोगद्वार संख्या, 11 पाहुड संख्या, 1. पाहडीया संख्या. 13 पाइड पाहडीया संख्या 14 ५स्त संख्या यह दृष्टीनाद मत्र परिमाण हुवा। और परिमाण संख्या हई // 99 // अहो भावन् ! जाणणा ।ख्या किसे कहते हैं? अहो शिष्य ! को यथार्थ जाने तद्यथा-शब्द को शब्द वेडी जाने गणित को गणित वेदी नाने. निपत्त ज्ञान को निमंतिक जाने. कार क लशन .. को वैध जनक ख्या / / 100 // अहो हैं भगवन् ! गणणा संख्या प्रमाण किसे कहते हैं ? अहो शिष्य : एक दो यावत् संख्याते *संख्याते अर्थ प्रमाण विषय 428428 / For Private and Personal Use Only