________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 0 एकत्रिंशत्तम-अनुयोगद्वार सूत्र-चतुर्थ मूस 838 जाव सुकिल्ल गुणप्पमाणे,सेतं वण्णगुणप्पमाणे॥से किं तं गंधगुणप्पमाणे? धगुणप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते जहा-सुरभिगंध गुणप्पमाणे, दुरभिगंधगुणप्पनाणे, सेत गंधगुण णप्पमाणे ।से किं तं रसगुगप्पमाणे? रसगुणप्पमाणे पंचविहे पण्णत्ते तंजहा-तित्तरसगुणप्पमाणे जाव महुर रसगुणप्पमागे, से तं रसगुणप्पमाणे // से किं तं फासगुणप्पमाणे ? फासगुणप्पमाणे अट्टविहे पणत्ते तंजहा-कक्खड फासगु प्पमाणे, जाव लुक्खफासगुणप्पमाणे, से तं फासगुणप्पमाणे // से किं तं संहाण गुणप्पमाणे ? संट्ठाण गुणप्पमाणे पंचविहे पण्णत्ते तंजहा-परिमंडल 5 संस्थान गुन प्रमाण. अहो भगवन् ! वर्ण गुन प्रमाण कितने प्रकार कहे हैं ? अहो शिष्य : वर्ण गुन प्रमाण के पांच प्रकार कहे हैं. तद्यथा-१ कृष्ण वर्ण गुन प्रमाण, यावत् शक्ल वर्ण गुन प्रमाण. अह) भगवन् ! गंध गुन प्रमाण के कितने प्रकार कहे हैं! अहो शिष्य ! दो प्रकार कहे हैं. सुरभिगन्धगुण-प्रमाण 2 दुर्मिगंध प्रमान. अहो भगवन् ! रम गुन प्रमान कितने प्रकार कहे हैं? अहो शिष्य ! पांच प्रकार के. ई. तथा-१ तिक्त रस गुन प्रमान यावत् मधुर रस गुन प्रमान. अहो भगवन् ! स्पर्श गुन मान के कितने प्रकार कहे हैं ? अहो शिष्य ! स्पर्श गुन प्रमान के आठ प्रकार कहे हैं. तद्यथा , कर्कश स्पर्श गुन प्रमान. यावत् ऋक्ष स्पर्श गुन प्रमान. अहो भगवन् ! संस्थान गुन प्रमान कितने %80380 प्रमाण का विषय 1980 For Private and Personal Use Only