________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir का अनुवादक वालब्रह्मचारी मुनि श्री अयोलक प्रषिजी. तिरियलोए जंबूहीवादिया मयंभरमण पज्जवसाणा असंखिज्जा दीव समुद्दा पण्णत्ता तेसु सव्वेसु भवं वलति ? विसुद्धतराउ गमो भणइ-जंबूद्दीवे वसामि, जंबू द्दीवे दसखेत्ता पण्णत्ता भरहे, एरवते, हेमवते, हेरणवते, हरिवासे, रम्मगवासे, देवकुरा, उत्तरकुरा पुव्वविदेह, अवरविदेह तेसु सव्वेसु भवं वससि ?विसुद्ध तरागो णेगमो भणति-भरहेवासे वसामि, भरहेवासे दुविहे पण्णत्ते तंजहा-दाहिणड्ड भरहेय, उत्तरड्ड भरहेय, तेसु सव्वेसु भवं वससि ? विसुद्ध तरागो णेगमो भणइ-दाहिणड्ड मैं जंबूद्वीप में रहता हूं. प्रश्न-जंबूद्वीप में दश क्षेत्र हैं. तद्यथा-१ भरत, 2 ऐरावत, 3 हेमवय, 4 हेरण्यवय, हरीवास, 6 रम्यकवास, 7 देवकुरु, 8 उत्सरकुरु, 9 पूर्व विदेह और 10 अवर विदेह. इन सब में तू रहता है क्या ? उत्तर-विशुद्धतर नैसम नयवाला बोला-मैं भरत क्षेत्र में रहता हूं. प्रश्न-भरत क्षेत्र के सो दो विभाग हैं तद्यथा- दक्षिणार्ध और 2 उत्तरार्ध. उन दोनों में रहता है। क्या ? उत्तर-विशद्धतर नैगम नयवाला बोला-मैं दक्षिणा भरत में रहता है. प्रश्न-दक्षिणार्ध भरत में तो अनेक ग्राम आगर नगर खेड कबड मडंब द्रोणमख पाटण आश्रम संशाह संनिवेस हैं उन सब में रहता है क्या? उत्तर-विशुद्धतराग नैगम नयवाला बोला-मैं पाटली पुत्र नगर में रहता हूं प्रश्न-पाटलीपुर नगर में तो अनेक घर हैं तो उन सब तू में रहता है क्या ? उत्तर-विशुद्धतराग नैगम नयवाला बोला मकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायनी ज्यालासादजी ** For Private and Personal Use Only