________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 808 243 + एकमिशत्तम अनुयोमद्वार सूत्र चतुर्थ मूल <3 जहन्नं अंतोमुहत्तं उक्कोसं छमासा, अपजत्तग चडरिदियाणं पुच्छा ? गोयमा ! / जहन्नणवि अंतोमहत्तं उघोषणत्रि अलोमहलं, पजरा चारदियाणं पच्छा ? गोयमा ! जान्नेणं अंतेहा जोर वासा ताई। 37 // पंचिंदिय तिरिक्खजोणियाणं भंते ! वाइयं कालं ठिा जाला ? गोयमा ! जहन्नं अंतोमुहत्तं, उक्कोसं तिणि पलिओवभाई, जलयर पंचिदिय तिरिक्खजोणियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पणता ? गोयना ! जहन्नं अंतोमुहुत्तं उक्कोस पुव्वकोडी, समुच्छिम जलयर पंबिंदिय पुछा ? गोवमा ! जहन्नं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसं पुव्यकोडी, अपज्जत्ताग समुच्छिन जलयर पंचिदिय पुच्छा ? गोयमा ! चौरिन्ट्रिच के अपर्याप्त की जाय उत्कृष्ट तर मुदु की, चौरिद्रिय के पर्याप्त की जघन्य अन्तर मुहुर्त की उत्कृष्ट छ महीने में अन्तर मुहुर्त रस को 37 // समुच्च तिर्थव पंथन्द्रिय की जघन्य अन्तर मुहुर्त की उत्कृष्ट तीन पल्वोपम की, जलचर पंचिन्द्रिय तिनच योनिक की जघन्य अन्तर मुहुर्त की उत्कृष्ट कोड पूर्वकी. समूच्छिम जलचर पंन्द्रियतियच की जपमा भन्तर हूत उत्कृष्ट मोड पूर्वकी. अपर्याप्त समुच्छिम जलचर 23 की जघन्य. अन्तर मुहुर्त की पत्कृष्ट भी अन्तर मुर्त की, पर्याश समुच्छिप जलचर की जघन्य अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट क्रोड पूर्व अन्तर मुहूर्त कम की. गर्भन जलचरकी अन्तर मुहुर्त की उत्कृट क्रोड पूर्व की, प्रमाण विषय <3g><Post << For Private and Personal Use Only