________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तरस पल्लरस आगास पएसा जे णं तेहिं वालग्गेहिं अणषुम्ना, एए सिणं पलाणं कोडा / कोडी भवेज दस गुणिया तं सुहुम खत्त सागरोवमस्स एगस्स भवपरिमाणं // एएहिं सुहुमहिं खेत्तपलिओवम सागरोवमेहिं किं पयोयणं ? एतेहिं सुहुम खेत पलिओवम सागरोवमेहिं दिट्टिवादे दवामविज्जति // 44 // कति विहाणं भंते ! प्रशत्तम अनुयामद्वारसूत्र-चतुर्य मूल 48 488048 प्रमाण का विषय उस में आमले फल का प्रक्षेप करे तो वे भी उस में समाजावे. उस में बोर का प्रक्षेप करे तो वे Fउस में समाजावे. उस में चिने का प्रक्षेप करे तो वे भी उस में समाजाचे, उस में मूंग का प्रक्षेप करे तो वे भी उस में समाजामे, उस में सरिसा का प्रक्षेप करे तो वे भी उस में समाजावे, उस में गंगा नदी की बालुका प्रक्षेपासी समाजाने. इसी दृष्टान्त कर अर्थात बडे पदार्थ ठसोठस भरे हों तो भी उस में उस से छोटे पदार्थों का समावेश होमाता पालान कर भरे रखे पाले में भी असंख्यात आकार प्रदेश उन वालाग्र को विना स्पर्श रहे जानना. ऐसे दश क्रोडाकोड पाले 10 खाली होवे उसे मूक्ष्म क्षेत्र समोर का परिणाम जानना. अहो भगवन् ! इस सूक्ष्म क्षेत्र पल्पोपम। सागरोपम से क्या प्रयोजन है ? अहो शिष्य ! इस सूक्ष्म क्षेत्र पल्योपम सागरोपम से दृष्टीबाद के द्रन्य कीमपती की माती है / / 44 // अहो भगवन् ! दृष्टीराद में द्रव्य कितने प्रकार के कहे हैं ! अहो 486 For Private and Personal Use Only