________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 242 नवाचारी पुनि श्री अमोलक पियाजी जहन्नं अंतोमुहुत्तं उकोसं दसवाससहस्साई अत्तोमुहत्तणाइ // 36 / बेदियाणं भंते ! लेवइयं कालं ठिति षण्ण ? गोयना ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोमेणं बारस संवच्छराणि, अन तग दियाणं पुच्छा ? गोयमा ! जहन्नंवि उकोसेणंवि अतोमुहत्तं पजत्तग बौदयाणं पुच्छा ? गोषमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसं बारस संबच्छराई अंयमहरामाई // तेइंदियाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पत्ता ? गोयक्षा ! जहन्न संत गात,कोसं गुणपण्णासं राइंदियाई, अपजक्ता लेंदिगं पुछा ! गोयना ! जाई. तो उन्को गावि तोमुहत्तं, पजत्तग तेदियाणं कुच्छा नया ! जहलेणं मुहुरा, बोलणं एम एमाले राइंटियाइं अंत मुलगाइ !! चरिंदियाणं भंत ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! *प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायगी ज्वालापसादजी* की॥३॥हन्द्रा भीममना मकी कायामान की. इन्द्रिय के अपर्याप्त की समय के अन्तर महत की उत्कृष्ट कार में आता मुलकी उत्कृष्ट गुनपचास दिन की. तेइन्द्रिय के अपर्याप्त की जानकान्द्रिय के पास की जघन्य अन्तर मुहुर्त की उत्कृष्ट शुनपचास दिन में अन्तर मुहीको चौरिन्द्रिय कीमपन्य अंतर महत की उत्कृष्ट छ महिने की, For Private and Personal Use Only