________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir म 223 सत्तयसयाई तेहत्तरि च उस्सासा // एस मुहुत्तो भाणिओ, सव्वेहि अणंत नाणीहिं // 3 // एएणं मुहुत्त पमाणेणं, तीसं मुहुत्ता अहोरत्तं // पण्णरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खामासो दोमासा उऊ तिाण उऊ अयणं, दो अयणाई संवच्छरे, पंच संवच्छराई जुगे वीसजुगाई वाससयं, दसवास सयाई वास सहस्सं सयं वास सहस्साणं वास सय सहस्सं. चउरासी वास सयसहस्साई से ऐगे पुव्वंगे, चउरा सीई पुव्बंग सय सहस्साइं से एगे पुव्वे, चउरासीइं पुव्वसत से एगेतु डिअंगे, चउरसिति का एक स्तोक काल होता है. 7 स्तोक काल का ? लव. 77 लव का एक मुहूर्त तीन हजार सात सो तीहातर ( 3773 ) श्वासोश्वास का एक मुहूर्त अनंत तीर्थंकरोने कहा है. इस मुहूर्त के प्रमाण कर 30 मुहूर्त की अहो रात्रि, 15 अहो रात्रि का पक्ष, 2 पक्ष का महिना, 2 महिने की ऋतु, 3 ऋतु की अयन, 2 अयन का 1 संवत्सर (वर्ष ) पांच वर्ष का युग, 20 युग के सो वर्ष. दश सो वर्ष के. 1 हजार वर्ष, 100 हजार वर्ष के 1 लाख बर्ष, 85 लाख वर्ष का एक पूर्वांग, 85 लाख पूर्वांग का एक पूर्व. 84 // लाख पूर्व का 1 तुटिआंग, 84 लाख तुटिअंग का 1 तुटित. 84 लाख तुटित नका 1 अडडांग, 84 लाख अडडांग का ? अडड, 84 लाख अडड का 1 अवधाम, 84 लाख 10 अवधांग का एक अवय, 84 लाख अव का एक हुइआंग, 84 लाख हुहु आंग का ' हुहू 84 लाखहुहू अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋापनी+ *प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायजी व्वालाप्रसादजी* For Private and Personal Use Only