________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सू 80% एकत्रिंशत्तम-अनुयोगद्वार पुष चतुर्थ मूस-8890 णं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णता? गोयमा ! जहनेणं एग सागरोवमं, उक्कोसेणं तिष्णि सागरोवमाई, एवं सेसं पढवीसु पुच्छा?भाणियब्वाइं-जहणं एगं सागरोवमं, उक्कोसेणं तिष्णि; वालुप्पभा पुढवी नेरइयाणं जहण्णं तिाण सागरोवमाई, उक्कोसेणं सत्तसागरोवमाइं, पंकप्पभा पुढवी नेरइयाणं जहन्न सत्त सागरोवमाई, उक्कोसणं दससागरोवमाइं, धूमप्पभापुढवी नेरइयाणं जहण्णं दस सागरोवमाइं, उक्कोसेणं सत्तरस्ससागरोवमाई, तमप्पभाए पुढवी नेरइयाणं जहण्णं सत्तरस समारोवमाइं उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई, तमतमा पुढवी नेरइयाणं भंते ! केवतियं कालंठिति पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्ण वावीस्वंसागरोवमाइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई जानना) उत्कृष्ट एक सागगेमप अन्तर मुहुर्त कम. शर्करप्रभा नरक के नेरीये की जघन्य एक सागरोपम की उत्कृष्ट तीन सागरोपम की वालुप्रभा नरक के नेरीये की, जघन्य तीन सागरोपम उत्कृष्ट सात सागरोषम, पंकप्रभा नरक के नेरीये जघन्य सात सागरोपम उत्कृष्ट दश सागरोपम धूम्रपमा नरक के नेरीये की जघन्य दश सागरोपम उत्कृष्ट सतरा सागरोपम. तम प्रभा नरक के नेरीये. की जघन्य सतरा सागरोपम उत्कृष्ट रावीस सागरोपम की, तमतम प्रभा नरक के नेरीये की जघन्य 4+8874+8+ प्रमाण का विषय -238048 For Private and Personal Use Only