________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir R / जे से सुहमे सेटुप्पे, तत्थणं जे से ववहारिए से जहा नामए पलेसिया जोयणं 'म खिभेणं, जोयणं उव्वेहेणं, तं तिगुणं सविसेसेणं परिवखेवणं. सणे पला पाहिया तेयाहिय जाव भरिए बालग्ग कोडीणं तेणं लगा में आगीडहेजा, नो वाउहरे ज्जा, नो कुहेजा, नो पलिबिद्धंसेज्जा, नो इत्ताह भागच्छेजा, तणं वाससए 2 एगमेगं वालग्गं अवहाय जावइएणं * कालेणं से पल्लेखीणे निरए निल्लेवे, निट्ठिए भवति-सेतं ववहारिए अद्धापलिउवमे / / - एसिं पल्लाणं कोडाकोडी भविज दसगुणिया तं ववहारियस्स अहासागरोवमरस इस में सक्ष पल्योपम तो यहां ही रहा, और जो व्यवहार अद्धा पल्योपम है सो यथा दृष्टांत-उक्त अर्थ | प्रकार कोई पाला एक योजन का लम्बा चौडा और एक योजन का ऊंडा त्रिगुनी आधिक परधी वाला उस पाले को एक दिन दो दिन तीन दिन यावत् सात दिन के बच्चे के वालाग्र की क्रोडाकोडी कर. उस पाले को ठोस 2 भरे इस प्रकार भरे की उसे अग्नि जला सके नी, वाय उडा संके नहीं, पानी गलासके नहीं. किसी भी प्रकार विश्वास पासके नहीं फिर उस पाले में से सो सो वर्ष के अन्तर से एकेक वालाग्र निकालते 2 जितने काल में वह पाला खाली होवे रज रहित लेप रहित साफ खाली हो एक भी बालाग्र उस में रहे नहीं उतने वर्षों के समुह को एक अद्धा पल्पोपम कहना. और ऐसे दश क्रोडाकोडे / गद्वार सूत्र चत्य > प्रमाणका विषय 880888 For Private and Personal Use Only