________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्र 189 ओमिणिजइ तंजहा-हत्थेणवा, दंडेणवा, धणुकेणघा, जुगेवा, नालियाएवा, अखणवा, मुसलेणवा, ( गाहा ) दंड धणु जुग नालियाय, अखमुसलं च,।। चउत्थं, दस नालियंच, रज्जु बियाणतो माणसणाए // 1 // वत्थुमि हत्थमेजं, खि ते दंडं धणुं च पत्थमि // खीय च नालियाए, वियाणतो माणसणाए / / 2 / / एएणं ओमाणप्पमाणेणं कि पओयणं ? एएणं ओमाणप्पमागेणं खायाचय करगचित्त कड खाइ प्रमुख भूमी का माप किया तद्यथा- हाथकर, चार हाथ के दंडकर, इतना ही धनुष्य कर, जुग|धूसरे कर, नाली कर, आखे कर मुशल कर यह दंड-धनुष्य जुग नाली अक्ष मुशल चार हाथ के हों ऐसे दश नाली की रज्जु ( रस्सी) यह मानोन्मान की सम्पदा जानना- घर की भूमीका में हाथ काम माप जानना. खेत की भूमिका में दंड का माप जानना. पंथकी भूमिका में धनुष्य का मपान जानना, कृपादि में नाली का मान जानना. यों युगादि का भी जानना. अहो भगवन् ! इस ओमान प्रमान से क्या प्रयोजन है ? अहो शिष्य ! इस ओमान प्रमान कर कूप खाइ आवास में कात्र घर वांसकडा अर्थ एकत्रिंशत्तम-अनुयोगद्वार सूत्र-चतुर्थ मूस 488.प्रमाण का विषय Page x यह सब चार हाथ प्रमाने जानना. परंतु सब अलग 2 वस्तु के मापन में आते है इसलिये इन के यहां अलग 2 नाम कहे हैं. For Private and Personal Use Only