________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋापजी. तिविहे पण्णचं तंजहां-सूई अंगुलं, ६पंगुले / अंगुलाय तीसढी, सूइअंगुले, सूती सतीए गणिता पतरंगल, 9 पत्तरसईए गणितं घणंगलं 27. // एएसिणं सईअंगल पतरंगुल वणअगुलाणं कयरे 2 हिंतों अप्पावा बहुआवा तुल्लिआवा विसेसाहियावा ? सव्वथोये सूईयअंगुले पयरंगुले असंखेज्वगुणे,सेतं धणंगुले असंखिज्जगुणे आयंगुलं // 13 से किं तं उस्सेदानुल तरसेह अंगुले अणेगविहे पण्णस्त तंजहा ( गाह! ) परममाणु. सरेणु, 3 रहहेणु, 4 अग्गयं च बालस्स, 5 लिक्खा , 6 जुया य, 7 जवो, अट्ठ. B'असत्य कल्पना से फक्त समजाने के लिये कहा है परंतु तीनों असंख्यात 2 प्रदेश की श्रेणि जानना. अहो भगवन् ! सुची अंगल प्रतर अंगल घन अंगुल में कौन २किस से थोडा ज्यादा तुल्य विशेष हैं ? अहो शिष्य ! सब से थोडा सुची अंगुल, उस से प्रतर अंगुल असंख्यात गुना, उस से घनअंगुल असंख्यात गुना, यह आत्म अंगल जानना. // 13 // अहो भगवन् ! उत्सेध अंगुल किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! उत्सेध अंगल सो परमाण 2 बृद्धि करते जो निष्पन्न होवे उसे कहते हैं. इस के अनेक प्रकार कहे हैं. तबथा-परमाणु, त्रसरेणु, रथरेणु, बाल, भाग सीख.यूका,यव, इन सब को अनुक्रम से आठ 2 गुने अधिक करना. इस का खलासा कहते हैं. अहो भगवन् ! परमाणु किसे कहते हैं ? हो शिष्य ! परमाण दो प्रकार के कहे हैं. तद्यथा-१ सूक्ष्म परमाणु और 2 व्यवहारिक परमाणु. प्रकाशक-राजाबहादुर लाला मुखदेवसहायनी ज्वालाप्रसादजी * अर्थ For Private and Personal Use Only