________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्र रन्नोससुरए, रन्नो जामाउए.रन्नोसाले, रनोसाढुए, रणो भगिणीपती, सतं संजोयनामे // से किं तं सामिवनामे ? समिवनामे ! गिरिसमविनार-गिरिनगर, विदिलाए समीवे नगरं-विदिसानगरं, वेनाए समीवेणगरं-वेण.ए नगर, नगरस्स समांवे नगर-नगरायडं, से तं समीव नामे // से किं तं सज़हे नामे ? संजहे नामे ! तेरंगवतीकारे मलयवतीकारे, अत्ताणुसाट्टकारे, विंदुकारे, से तं संजूह नामे // से पद में देखे जाते हैं; परंतु श्लाघनीय अर्थ की उत्पत्ति हेतुभूत अर्ध मात्र में तद्धित प्रत्यय होते हैं इसलिये श्रमण भबं श्रामण्यं. यह तद्धित रूप हुवा. यह श्लोक माप हुवा. प्रश्न---. संयोग नाम किसे कहते - हैं ? उत्तर-संयोग नाम-उसे कहते हैं कि जिस से संयोग पूर्वक उच्चारण किया जाय. जैसे कि राजश्वसुर-राजा का श्वसुर, राजा का जामाता, राजा का साला राजा का दूत., राजा की भगिनी के पति, यह संयोग नाम हुबा. प्रश्न-समीप नाम किसे कहते हैं? उत्तर-इस के उदाहरण निम्न प्रकार से हैं. जैसे गिरि समीप जो नगर होता है, वह गिरि नगर है, जो विदिशा के समीप जगर है वह विदिशा नगर है, वेणानदी के समीप जो नगर है वह वेणारा नगर, जो नगर के समीप नगर होता है 40 वह नगराय नगा है. यही समीप नाम है. प्रश्न- संयूथ नाम किसे कहते हैं ? उत्तर-संयूथ नाम | के उदाहरण निम्न प्रकार से हैं, जैसे तरंगपतिकारक मलयपते कारक. आत्मानपष्टि कारक, अनुयोगद्वार सूत्र-चर्तुथ मूल 1880 1848 नाम विषय 34.88 For Private and Personal Use Only