________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 488 अवयवेणं, 9 संजोगेणं 10 पमाणेणं // 127 // से किं तं गोणे ? गोणे! खमती ति खमणो, तरन तिताण जलमी नि अलणो, पवती ति पवणो, सेतं गोणे // से किंतं नो गौ ? ! अंकुतो संकुंतो,अमुग्गो, समुग्गो. अलालं, पलालं, अकुलिया र कुलि , अमडो ममुद्दो, नो पलं असती ति पलासं,अमाति बाहए माइबाहर अपीय वावर, बीमा वावए, नो इंदगावतीच इंदगोवउ. सेतं नई 83308एकत्तम-अनुशामद्वार सूत्र चतुर्थ मूल 28 योग नाम और 10 . भ. // दो भगवत् / गुण निष्पना नाम किसे कहते है? को शिष्य ! गम लिन उसको जैविक्षमा करने से क्षरण, जलन होने से ज्वलन. ताए होने से तपन. पांवर न. उर्व गुण निष्पन्न नाम है. अहो भगवन् ! अगुण निष्पन्न नाय किसे कहते है ? जसे कि कुन्न न होने पर शान्त, समुद्र न होने पर समुद्र, भद्रा के न होने पर भद्र, लाल के न होने पर लाल, कुलिका के न होने पर शकुतिका, मांस के न खाने पर पलाश, 1 अमानव हक को मानाहर सीमा को वीजवापक इन्द्र के न गोपों पर इन्द्रगोप इत्यादि सर्व प्रयोग Tण निष्पन्न नई हे परंट गुण से विरूद्ध नाव प्रसिद्ध है=आदान पद उसी का नाम हैं.कि जिस अध्याय का 2 आद सूत्र से नाम मसिद्ध हो नाय. और उसी माम अध्याय से उच्चारण किया जाय.इस पद में च उदाहर 28.5 नाप विषय 103800 For Private and Personal Use Only