________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्र यल्ले, मलदिन्ने, मलधम्मे, मल्लसम्मे, मलदासे. मल्लसेणे, मल्लरक्खिए. सेतं गण नामे || 139 // से किं तं जीवित हेऊ नामे ? जीवित हेऊ नामे ! अबक्खवए, तुतरुडिए उज्झियए, कजवए,सप्पए,से तं जीवित त हेऊ नामे // 14. || से किंतं आभिप्पाइ नामे ? आभिप्पाइनामे ! अंबए, निंबए, चंवृलए, कुलए, पलासए सिलए, पीलुए, करीरए, सेतं आभिप्पाइ नामे // से तं ठवणाणप्पमाणे // 141 // से किं तं दव्यप्पमाणे ? दव्यप्पमाणे ! छव्विहा पणत्ता तंजहा-धम्म / 174 अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मान श्री अमोलक ऋषिजी. अर्थ मल्ल, 2 मल्ल दीन. 3 मल्ल धर्म. 4 मल्ल शर्म, 5 मल्ल देव : मल दास. 7 मल्ल सेन, 8 मल्ल रक्षित इत्यादि नाम रखे सो गण नाम जानना. // 131 // अहो भगवन् ? जीवित हेतु नाम किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! वालकों का काल जीवित रखने के लिये जो नाम दिया जाता है. सो जैसे 1 कचग, 2 उकरडा. 3 उज्झत.४ काजो, षपडियो अन इत्यादि म त नाम हेतु जानना // 14 // अहो भगवन : अभिप्राय नाम किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! अभिया नाम सो गुन की अपेक्षा सहित अपने अभिप्राय से पम्प नाम को स्थापन करे. जैसे आम्ब, नीय, चम्ब, बकुल, पलास, सिलक, पीलक, करी. यह अभिय नाम जानना यह स्थापना नाम का कशन हुवा. // 141 / / अब अहो भगवन् ! द्रव्य प्रमाण नाम किसे कहते हैं ? अहो शिष्य : दृठय प्रमाण नाम के छ भेद कहे है। .प्रकाशक-रानावहादुर लाला सुखदेवसहायनी ज्वालाप्रसादजी - For Private and Personal Use Only