________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मस00/ 28 भरणी; एमाणका ! .. णक्खत्त णामे // 135 // से किंत देव न ? - - अग्गिए 2 अग्गिदिन्ने, 3 अग्गिलामे, 4 .... . अग्गिसणे. 8 आणि रक्खिए, एवं सन्मणकाल इणिगाहा-१ अग्गि 25 पयावइ, ३सोम.४रुद्द.५आंदता, ६4.रतई, सप्प,८पती, 9 भग,१८ अज्जम 11 सधिया, १२तट्ठा, 13 वाउय, १४इंदाग, १५त्तिो , १६इंदो, १७निरति, 18 आउ 27 अश्विनी और 28 भरणा. इन नक्षत्रों की परिपासी से नाम कहा जावे सो नक्षत्र नामः // 13 // अहो भगवन् ! देव नाप किसे हो? हो शिष्य ! देव नाम सो उक्त अट्ठाइस नक्षत्रों के अधिष्ठित देवता होते हैं रेमासे रखे जसे-अग्नि दनाधिषित नक्षत्र में जन्मे हुए का 1 अग्नि. 2 अग्नि दिन. 3 अग्नि शर्म. 4 अभिभः 5 आर देव 6 अनि दाम, 7 अग्नि सेन, 8 अग्नि रक्षित. इत्यादि यो सब नक्षत्रों के देवता के नाम बना इन स रक्षत्र के अठाइस देवता के नाम कहते। हैं. 1 अग्नि देव, 2 प्रजापति देव, 3 सोम देव 5 गट देव र अदिति देव, 6 बृहस्पति देव, 7 . # देव. 8 प्रीति देव. 5 भगदेव. 10 अर्जव देव , सविता देव, 12 तुष्टा देव, 13 वायु देव, 14 ! इंद्राण देत, 1 मित्र दव, १६न्द्र दे, 17 निरति देव, 18 आयु देव, 51. विश्व देव, 20 प्रहादेव है अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी प्रकाशक राजबहादुर लाला सुखदेवसहायजी-ज्वालाप्रसादजी. For Private and Personal Use Only