________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महस्स नामेणं उन्नाभिज्जइ, सेतं णामेणं से किं तं अवयवेणं ? अवयवेणं ! सिंगी, सिखी, विसाणी, दाढी, पखी, खुरी, णही, बाली, दुप्पय, बउप्पयाय, बहुप्पया नंगुली, केसरी, कउही, परियर बंधेण भेडं, जाणिज्जा, महिलायं नियत्थणं, सित्थेणं दोणवाय, कयंच एमाए गाहाए, ते तं अक्यवेणं // 28 // से किं तं संजोगेणं ? संजोगेणं ! चउबिहे पण्णवे तंजहा-दबसंजोगे, 2 खेत्तसंजोगे, 3 कालसंजोगे 4अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी अर्थ भगवन् ! अवयव नाम किसे कहते हैं ? होशिपय ! अश्या की समानता से जो नाम निष्पन्न हो उसे अवयवी नाम करते हैं जैसे कि श्रृंा होने से मीशिस्त्रा होने से शिनी ऐसे ही विपाणी, दाढी,पक्षी, खुरी, नरवी. चाली, द्विपद चतुष्पद, बहुपद. नांगुली. केसरी, वैसे ही सानक वेष से शूरवीर, बने हुए एक कणसे सब अनाजपका हुदा एक गाथा से कावे, यह सब अवयव प्रधान पद क्यों कि जिस व का जो अवयव प्रधान ईवा है उसी के प्रयोग से उस के नाम का उच्चारण किया जाता है.. // 128 // अहो भगवन संशेग नाम किसे कहते हैं? अहो शिष्य ! संयोग नाम चार प्रकार से कहा है जैसे कि 1 द्रव्य संयोम, 2 क्षेत्र संयोग. 3 कार मंयोग, और 4 भाव स्योग अहो भगवन् ? द्रव्य संयोग किसे करतेहै? अहो शिष्य ! द्रव्य संयोम तीन प्रकार से कहा है तघया-सचिन 2 मचित्त प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदवसहायजी उधाला साद For Private and Personal Use Only