________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुनि श्री अमोलक ऋषिजी 88 नोगोणत्ति / से किंतं आयाणपदेण? आयाणपदेण ! धम्मोमंगल, चाउरंगीज, असंखयं, आवंती. अहातत्थिनं, अदइज्ज, सेत् आयाण पदे।। से किं तं पडिवख पदेणं ? पडिवक्खपदेणं ! नोमु मामागर पामर खेड कव्वा मंडल दोषागुह पट्टणा सम सन्निविसेसुय निविरसमामु सिवालिका अगलादला मिर. बल्लालबरेसु आविलंसादुयं जे छत्तए सेजलचए, जेलाउए से अलाउ से सुपर से कुसुभए, दाहारण दिखाये गये हैं. मे कि 5 मो मंग दिगापा का कि अश्याग 2 पलुगी अध्यार, 3 | असंख्याध्याय, 4 अवती अमान पुरुषायायाय. 6 एकाध्याय. 7 पाय, 2|9 मोक्ष मालाय. 1. समोरण यान 1: काय र यमाया आदि कुलाब्याप अस प्रतिसादान में किसी के काशक-राजाबहार लाला मुखदेवारमा विप मधर, कालान के घर में मंदिन साट, रकको अरका, लालुको भलघु, जुम को कम इस प्रकार For Private and Personal Use Only