________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एगनामे ! नामाणि जाणे काणिय, दवाणगुणाण पजवाणंच ॥ते सिं आगम निहसे नामे नि परूशिया सता, से तं एगनामे || 96 // से किं तं दुनामे ? दुनामे दुविहे पण्णते तंजहा-एगलरवरिए, अणे खारय // से किं तं एगक्वरिए ? एगरवरिए ही श्री धी स्त्री से तं गुगल गरिए // से किं तं अणेगक्खरिए ? अणेगखरिए अर्थ रूप कसौटी विषय नाम पर संशा प्रतिपादन की गइ है. अर्थात् यह नाम पद आगम में कसौटी तुल्य हैं इसके द्वारा स पदार्थों का चोप यथावत् होता है. तथा द्रव्य गुण पर्याय यह तीनों आगम रूप कसौटी में यथावत् सिद्ध होचुके हैं. जो संसार भर में वस्तु है वे सर्व समान प्रकार से एक नाम से भाषण की जाती है. सब द्रव्यों के (कार्थ याची अनेक नाम होते हैं परंतु वह एक नाम में ही गर्भित हो जाते हैं जैसे कबोटी द्वारा स्वर्ण की परीक्षा को जाती है वैसे ही ज्ञान रूपी कसौटी में जीयाजीव पदार्थो सुवर्ण तुम उनी पक्षा की जाती है इस लिये यह नाम पद कसौटी रूप हैं. एक नमका कथन हवा // 16 // अब शिश्य द्विनाम के लिये पृच्छा करता है. अहो भगवन् !/4 97 द्विनाम किस प्रकार से वर्णन किया गया है ? अहो शिष्य ! द्विनाम दो प्रकार से प्रतिपादन किया। गया है. जैसे कि-एकाक्षरिक नान व अनेकाक्षरिक नाम. अहो भगवन ! एकाक्षरिक नाम किसे / एकत्रिंशत्तम-अनुयोगद्वार सूत्र चतुर्थ मूल 11 680938नाम विषय 8894808 For Private and Personal Use Only