________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुगसंजोगणं तिगसंजोगेणं चउकांजोगेणं पंचगसंजोगेणं निप्पजइ सब्वे से सन्नि. वाइए नामे // तत्थणं दस दुग संजोगा, दस तियसंजोगा, पंच चउकसंजोगा, एग पंच संजोएणं // तत्थणं जेते दस दुगसंयोगा तेणं इमे-१ अस्थिनामे उदईए उवसमनिप्फन्ने, 2 अलिनामे उदए खयनिष्फन्ने, 3 अत्थिनाने उदइए खउबसमनिष्फन्न, 4 अत्थिनामे उदईए परिणामिय निष्फन्ने, 5 अत्थिनाने उवसमिए खयानि फन्ने, 6 अत्थिनामे उवसमिए खउचसम निप्फने, 7 अत्थिनामे उन्नमिए पारिणामिय निष्फन्ने, 8 अत्थिनामे खइ. खबम निकने, 9 अत्थिनामे खईए पांचों भाव के हिसंयोगी, तीन संयोगी. चार भोगी व पांव संयोगी. योजने होने हैं. इस में से द्विसंयोगी 10 भांगे. तीन संयोगी... मांगे चार संयोगी 2 मांगे और पारसंगी एक भांगा यों 15. मांगे होते हैं. इस में ये 9 वा भा। सिद्ध में, 15 वा केवली में 16 वा चारों गति में #23 वा उपश्रय श्रेणि में. 24 सपा श्रेणी में. 26 वा छयस्त साध में. यों 6 भांगे पाले हैं. बाकी के 20 भांगे शून्य हैं. बर द्वयोगी दर भागे निम्नक्ति प्रकार से बताते हैं उदय उपशम, 2 उदय क्षायाः उदप क्षयोपशम, 4 उदय पारिणामिक. 5 उपशम क्षापिक, 6, 1 उपशम भयोपशामिक, 7 उपक्रम पारिणाविक, 8 सायिक क्षयोपशमिक, ९सायिक पारिणाभिक और बुवादबासमचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी. १५काशक रामावहादुर लाला सुखदेवसहायजी आलापसाद For Private and Personal Use Only