________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तंजहा-( गाहा )-नंदाय, क्खूडिमा, परिमाय चउत्थी सुद्ध गंधारा // उत्तर गंधाराविय, सायंचमिया हवइमुच्छ। // 17 // सुट्टत्तर मायामी, सा छट्ठी सव्वओ णायध्वा / / अहउत्तरायया कोडिमाय सा सत्तमा हवइ मुच्छा // 18 // सत्ससरा कओ भवती ? गीयरस का भवंति जोणी? कति समया ओसासा, कइवा गेयस्स आगारा // 19 // सत्तसरा णाभीओ भवंती, गीयंचरुन्न जोणि, पाद समा ओसासा,तिन्नि गीयरस आगारा॥२०॥आइ मिउ आरंभंता, समुबहताय मज्झयारंमि।। अवसाणं अववत्ता, तिष्णि गेयस्स आगारा॥२१॥छद्दोसे अट्ठगुणे, तिष्णि अ विस्ताइ अर्थ जमघुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी + प्रकाशक राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायनी ध्वालापप्तादजी * न कि नंदिका, 2 शुद्रिका, 3 पुरीमा, 4 शुद्ध गांधार, 5 उत्तर गांधार, 6 सुष्टतर मायाम और . उतरा कोटिपा. या सप्तमी मछना है. // 18 // अब सात स्वरों के विशेष प्रश्नोत्तर करते हैं. साबों स्वर किस स्थान में उत्पन्न होते हैं ? गीत की कौनसी योनि होती हैं, कितने समय प्रमाण स्वर में उच्छवास होता है, और गीतों के कितने आकार हैं? // 19 // अब इन के उत्तर देते हैं. सातों स्वर नाभि से उत्पन्न होते हैं. गीतों की रुदित योनि है, गीतों के पद पद में उच्छवास हैं. और गीतों के तीन आकार कहे हैं. // 20 // गीन की आदि में आरंभ करते कौमक स्वर चाहिये, फीर में च में महा ध्वनि चाहिये और गीत अंत के में मंद स्वर होवे. इसलिय यह तीन आकार कहे हैं ॐ // 21 // नो रंग भूमि नाटय भूमि में मुशिक्षित बनकर गाता है वही स्वर के छ दोष, आठ गुन * // 19 // अब" गातों की समि के तीन का For Private and Personal Use Only