________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Be एकात्र इत्तम्-अनुयोगद्वार मूत्र-चतुथा हिंडगा भार वाहगा // 14 // एतेसिंण सत्तण्हसराणं तओगामा पसा तंजहासजगामे, मज्झिमगाभे, गंधारगामे, // सज्जगामस्सणं सत्त मुच्छणाओ पण्णत्ताओ तंजः-( गाहा ) मंगी, कोरवी, आहरिया, रयणी, सारकताय / छट्ठी अ सारसी नाम, सुद्धसज्जाय सत्तमा // 15 // मझिम गामरसणं सत्तमुच्छणाओ पण्णत्ताओ तंजहा-( गाहा ) उत्तर मंदा, रयणि, उत्तरा उत्तरासमा, // सम्मोकंताय सोवीरा अभिरुवा होति सत्रामा // 16 // गंधार गामस्सणं सत्तमुच्छणाओ पण्णताओ करने वाले, लेख वाहक और भार वाहक भी होते हैं अर्थात् जो शूद्र क्रिया है उन के कर्ता निषाद स्वर वाले ही होते हैं अब इन सात स्वरों के तीन ग्राम व सात मूर्छना के विषय में कहते हैं. // 14 // इन सात स्वर के तीन ग्राम प्रतिपादन किये हैं 1 षड्ज ग्राम 3 मध्यम ग्राम और 3 गांधार ग्राम.4 इन में षड्ज ग्राम की सात पूर्डनाए कही गई है. 1 भांगी, 2 कोरवी. 3 हरिता, 4 रत्ना, 5 सारकता, सारसी और 7 शुद्ध पडन नामक सप्तमी मूछना है. // 15 || मध्यम ग्राम की भी सात मूर्छना ये प्रतिपादन की गई है जिनके नाम-१ उत्तरामंदा, 2 रत्ना, 3 उत्तरा, 4 उत्तर सभा, 5 समकांता., 6 सुवीरा, और 7 अभिरूपा. // 16 गांधार ग्राम की मी सात मूछना ये प्रतिपादन की गई है से अर्थ नाम विषय 480438 For Private and Personal Use Only