________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकत्रिंशत्तम-अनुयोगद्वार सूत्र-चतुर्थ मूल किंनरे, किंपुरिसे,महोरगे, गंधव्वे,एतेसिंपि अवित्तेसिय. विसेसिय पजत्तय अपज्जत्तय भेदा भाणियब्वा॥अविसेसिए जोइसिए, विसेसिए-चंदे, सूरे, गह, णक्खत्ते, तारारूवे. एतेसिपि अविसेसिए, विसेसिए पजत्तय अपजन्य भेया भाणियव्वा // अविसेसिए वेमाणिए, विसेसिए कप्पोववन्नेय, कप्पातीतए // अविसेसिए कप्पोववन्ने, विसेसिएसोहम्म,, ईसाणए, सणतकुमार, माहिंद, बंभलोय, लांतए, महामुक्कए, सहस्सार, आणय, पाणय, आरणए, अचुयए // एतेसिं अविसेसिए, विसेसिए, पजत्तय अपजसय भेदा भाणियव्वा // अविसेसिए कप्पातीतए,विसेसिए गंवेज्जए, अनुत्तरोय॥ वायकुमार 10 स्तनितकमार इन दशों का अविशेषक व विशेषक में पर्याप्त व अपर्याप्त के भेद कहना. अविशेषक वाणब्यंतर और विशेषक ? पिशाच, 2 भूत, 3 यक्ष, 4 राक्षस, 5 किन्नर, 6 किंपुरुष, 7 महोरग, 8 गर्व. इन आठों का अविशेषिक व विशेषिक में पर्याप्त व अपर्याप्त के भेद कहना. अविशेषिक ज्योतिषी और विशेषिक चंद्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र व तारा. इन के अविशेषक व विशेषक में पर्याप्त व अपर्याप्त के भेद कहना. विशेषक वैमानिक और विशेषक में कल्पोत्पन्न व कल्पातीत. अविशेषक में कल्पोत्पन्न और निशेषक में ! सौधर्म, 2 ईशान, 3 सनत्कुमार, 4 माहेन्द्र, 5 ब्रह्मलोक, 88888 नाम विषय 86004863 EP 488 For Private and Personal Use Only