________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अर्थ अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी उदइए ? उदइए दुविहे पण्णत्ते तंजहां-उदइएय, उदयनिष्फन्नेय सेकि तं उदइए? उदइए ! अट्टहं कम्मपगडीगं उदएणं से तं उदइए // से किं तं उदय निप्फन्ने ? उदयनिष्फणे दुविहे पण्णत्ते तंजहा-जीवोदय निप्फन्नेय, अजीवोदय निप्फन्नेय // से किं तं जीवोदय निष्फन्नेय ? जीवोदय निष्फन्ने अणेगविहे पण्णत्ते तंजहा-नेरइए. तिरिक्खजोणिए. मणुस्से, देवे, पुढवीकाइए जाव तसकाइए कोहक साइए जाव लोहकसाइए, इत्थीवेइए पुरिसवेदए गपुंसगवेदए, कण्हलेस्सए जाव दो भेद- उदयिक और 2 उदय निप्पन्न. अहो भगवन् ! उदय किसे कहते हैं? अहो शिष्या आठ कर्म प्रकृति के उदय को उदय कहते हैं. अहो भगवन् ! उदय निष्पन्न किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! उदय निष्पन्न के दो भेद कहे हैं तद्यथा-जीवोदय निष्पन्न व अभीवोदय निष्पन्न. अहो भगघन् ! जीवोदय निष्पन्न किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! जीवोदय निप्पन के अनेक भेद केहे हैं. तद्यथा-नैरयिक, निर्यच. मनुष्य, देव, पृथ्वी काया. गावा का काया. क्रोध कपाय यावत् लोभ कषाया स्त्री वेद पुरुष वेद, मयुंसक वेद कग लेनी यावर शो , मियादृष्टी, अमेति, असंज्ञी, अज्ञानी. है माहारी, छमस्थ, संयोगी, संसारम्य, असिद्ध और केवली. यह जीवोदय प्पिन हुवा. अहो भगवन् ! * अजीवोदय निष्पन्न किसे कहते हैं ? अजावादये निप्यन्न के चउदछ भेद कई हैं तयथा-1. उदारिक है। काशक राजाबहादुर लालम मुखदेवसहायजी मालाक्सादनी. For Private and Personal Use Only