________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मल ब्रह्मचारी मुनि श्री अलक ऋषिजी + अविसेसिए गंवेजओ, विसेसए-झोहिम गेविजएहि. मज्झिम गेविजयहिं, उत्ररिम गेविज हिं // अविसेपिए हेकि मेजिए, विसेरिएटेन हेलिन मेलिजए, हेटिम मज्झिन गेविजर. हट्टिम उरिन गेविजए // अतिरिम झिग मेरिज, लिए. मझिमनिए, मझिम मज्झिम गाँवजा, मति . उरिका / / अविसरि एनिमा रोकिए. विजेतिए-उमा म विन, सरिम मझिम गोवर. रिमरिक मेशिजए // एतास वि मा अविजित विशलिए मा अपनतर भेदा मानियवा॥अविसेसिए अणुत्तरोवधाइ :, दिले.लए-विजापर। *प्रकाशक राजाबहादुर लामासुखदेवसहायजी ज्वालाममादजी. 6 लंतक, क. 8 सासा', 9 आणत, 10 माणस. 11 आरण और 12 अगुत. इन के भी कि अधिशेषक व विशाल में पचास व अपर्याप्त के भेद कहना. अविशेषक कल्पातीन और विशेषक में प्रवे. यक व अनुर विमान. विशयक में ग्रेयेयक और विशेषकरें नीचे की, बीच की व ऊपर की. अविक्षेत्र में नीचे की और विशेषक में नीचे नीचे की नीचे की बीच की और नीचे की ऊपर की. अविशे च की. विशेष धीच की नीच की. च की वीच की, और बीच भी ऊपर की. अविशपक ऊपर की ग्रैवेषक, विशेषक ऊप' की नीचे की, ऊपर की बीच की द उपर की ऊपर की. इन सब कई arrian भार्यात भेद कहना. अधिशेषक अनुत्तरोपतिक और विशेषक. १विजय, 2 वैजयंत For Private and Personal Use Only