________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 16 नामे ? नामे दसविड़े पण्णत्ते तंजहा-एगनामे, दुनामे, तिनामे, चउनामे, पंचनामे, छनामे, सत्तनामे, अट्ठनामे नवनामे, दसनामे // 95 // से किं तं एगनामे ? ऋषिजी 1 अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री 3 कहते हैं ? अहो शिष्य ! नाम के दश भेद कहे हैं जैसे कि-जो ज्ञानादि गण का प्रकाशक हो उस का एक नाम है. 2 जिस के द्वारा दो पदार्थों का बोध होवे उमे दिनाम कहते हैं, 3 जिग के द्वारा तीन पदार्थो का ज्ञान होवे उसे त्रिनाम कहते हैं. 4 को चार बार से ३म्मा स्वरूप बिकरिया जाय। वह चार नाम है, 8 जो पांच प्रकार से पदार्थों का विमानाय वह पांच ना : 6 जिस से अ छ प्रकार से वस्तुओं का स्वरूप वर्णन दिया जाने नदी पट् ाम, ७मिय से सात प्रकार से निरूपणा की जावे वही सात नाम है. 8 जिस के अष्ट भेद वर्णन किये ज उसी का नाम अष्ट नाम हैं. 9 नव प्रकार से द्रव्यादि पदार्थो को कहा जाये वहीं नव नाम है और दश प्रकार से जो पदार्थ वर्णन किये जाये उन्हीं का नाम भार है. // 95 / इसमें पुनः प्रश्न करते हैं कि अहो भगनन् ! एक नाम किसे कहत है? अहो शिप्य : प न (जीव आत्या, प्राणी सत्व ) यो जीव द्रव्य अनेक नाम है वैसे ही आया नन: आकाश अंश्र इत्यादि यह व्यों के नाम हैं.) नल जैसे ज्ञानादि गुण, तश रूप. बस, गंध, स्पर्श या गुण पर्याय सो नरक, तिर्यच, मनुष्य च देव. यों द्रव्य, गुण व पर्याय के जितने नाम हैं उन सब को आगम .१काशमा-राजाबहादुर लाला मुखदवसहायजा ज्वालाप्रसादजी* For Private and Personal Use Only