________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 48 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी 88 से तं कालाणुपुवी // 88 // से किं तं उक्कित्तणाणुपुवी ? उक्त्तिणाणुपुवी तिविहा पण्णत्ता तंजहा-पुवाणुपुब्बी, पच्छाणुपुब्बी, अणाणुपुन्वी // 89 // से किं तं पुव्वाणुपुवी ?पुव्वाणुपुवी-उसभ, अजिए, संभवे, अभिणदणे, सुमति, पउमष्पहे, सुगसे, चंदप्पहे सुवि ही सी ले, सेजसे, वासुपूज, विमले, अणते, धम्मे, संती, कुंथू अरे, मल्ली, मुणिसुब्बए, णमी, अरिट्ठणेमी, पासे, बरमाणे. से तं पुवाणुपुयी। से किं तं पच्छाणुपुब्बी ? पच्छाणुपुब्बी ! बद्धमाणे जाव उसभे. से तं पच्छाणुपुव्वी // कथम हवा. यह कालानी का स्वरूप हवा // 88 // अहो भगवन् ! उत्कीर्तनानपूर्वी किसे कहते हैं। अहो शिष्य ! उत्कीर्तनानुपूर्वी के तीन भेद कहे हैं-१ पूर्वानुपूर्वी. 2 पच्छानुपूर्वी व 3 अनानुपूर्व // 8 // अहो भगवन् ! पूर्वानुपूर्वी किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! पूर्वानपूर्वी में 1 श्री ऋषभदेव 2 श्री आजताय३ श्री संभवनाथ, 4 श्री अभिनंदन. 5 श्री समतिनाथ, 6 श्री पद्मप्रभु, 7 श्री मुपा नाथ, 8 श्री नंद्रपभ, 1 श्री मुविधिनाथ, . श्री शीतलनाथ, 11 श्री श्रेयांसनाथ, 12 श्रीवास पूज्य 13 श्री विमलनाथ, 14 श्री अनंतन थ, 15 श्री धर्मनाथ, 16 श्री शांतिनाथ, 17 श्री कुंथुनाय, १२८श्री अरनाथ, 19 श्री मन्लीनाथ, 20 श्रीमुनिमुवत,२१श्री नमीनाथ,२२श्री अरिष्टनेमी,२३श्री पार्थी नाथ, और 24 श्री महावीर स्वामी. यह पूर्वानुपूर्वी का कथन हुवा. अहो भगवन् ! पच्छानुपूर्वी किसे प्राशक राजाबहादुर लाला मुखदेवस हायजी ज्वालाप्रसादजी For Private and Personal Use Only