________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir होजा, देसणे वा लाए होजा, नाणा दव्वाइ पडुन नियमा सब लोए होजा णेगम ववहाराणं अणाणुपुवी दव्वाणं पुच्छाए? एग दच पडुच्च को संखिाइ भागे होजा, / उत्तर-एक द्रव्य आश्री संख्यात, असंख्यात, संख्यातवे. असंख्यातवे या कुछ कम सब लोक में होते हैं और बहुत द्रव्य आश्री सब लोक में होते हैं. नगर व्यवसार नय के मत से अनापूर्वी द्रव्य की पृच्छा उत्तर-एक द्रव्य की अपेक्षा से जाव असंख्यात भाग में होने परंतु संलयात साग, संख्यातवे भाग, 1888- एकत्रिंशत्तम-अनयोगद्वार सूत्र-चतुर्य मूल -9888 428023 अनुगम विषय ___* अचित्त महा स्कंध सब लोक व्यापी प्रथम कहकर अब यहां कुछ कम लोक कहने को x कहना है? उत्तर-लोक में एक देश बनापूर्वी का और दो प्रदेश अपाच्य के है. इतना ही यहां कम ग्रहण किया है प्रश्न-द्रव्यानपूर्वी में भी सर्व लोक व्यापी आनुपूर्वी द्रव्य का कहा तो फिर अनानपूर्ण व अवक्तव्य गव्य का अभाव होता है फिर इन का अस्तित्व कैसे रहा ? उत्तर-ट्रब्यानपूर्वी में तो द्रव्य की ही आनी कही है परंतु क्षेत्र की नहीं कही है. उन अनानपूर्वी द्रव्याधिक परस्पर भिन्न 2 रहने को बहुत क्षेत्र है इस लिये विरोध नहीं है. जैसे एक क्षेत्र में बहुत दीपकों का प्रकाश हो सकता है ऐसे ही एक क्षेत्र में अन्य द्रव्य का भी समावेश होता है. प्रश्न-आकाश आनुपूर्वी द्रव्य की अस्ति है और उस में ही अनानपी व अवक्तव्य ट्रम्प की अस्ति है तो उस के ट्रव्य { की अवगाहना के भेद की विवक्ष क्यों नहीं की? उत्तर-उस की विवक्षा करने के लिये ही इस क्षेत्रा Annanaanaanamanna 980 For Private and Personal Use Only