________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 92 4940-अनुवादकबालब्रह्मचारी श्री अमोलक मुानापजाgh असंखेनं कालं. गाणा दवाइं पडुच्च सव्वडा ॥णेगम ववहाराणं अणाणुपुब्वी दवाई कालओ केवचिरं होइ ? एगं दव्वं पडुच्च अजहन्नमणुक्कोसेणं एकसमयं, णाणा दयाइं पडुच्च सव्वडा. अवत्तव्वग दव्वाइं पुच्छा ? एगं दव्यं पडुच्च अजहण मणुकोसेणं दो समयाई णाणा दव्वाइं, पडुच्च सव्वद्धा // णेगम ववहाराणं अणापुवी दव्वाइं अंतरं कालओ केवचिरं होइ ? एगं दव्वं पड़च्च जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं दो समया. नाणा दव्वाइं पडुच्च नत्थि अंतरं // णेगम ववहाराणं अणाणुपुब्धी दव्वाणमंतर कालओ कवचिरं होइ ? एगं दव्वं पडुच्च जहण्णेणं दो उत्कृष्ट असंख्यात काल. बहुत द्रभ्य आश्री सब हाल तक रहे. नैगम व्यवरार नय के मन से अमानुपूर्वी द्रव्य कितना काल तक रहे ? अहो शिष्य ! एक समय आश्री अन नुपूर्वी की स्थिति अजघन्य 4 अनत्कृष्ट एक समय की और बहुत कय आश्री सब काल की. अवक्तव्य द्रव्य की पृच्छा, अहो यि ! एक द्रव्य आश्री अजघन्य अनुत्कृष्ट दो समय की स्थिति और बहुत द्रव्य आश्री सत्र काल की. अहो भगवन् ! नैगम व्यवहार नय के मत से आनुपूर्वी द्रव्य का काल से कितना अंतर होता? अहो शिष्य ! एक द्रव्य आश्री जघन्य एक समय उत्कृष्ट दो समय. बहुत द्रव्य आश्री अंतर नहीं है अहो भगवन ! नैगम व्यवहार नय के मत से अनानुपूर्वी का अंतर कितना होता है ? अहो शिष्य ! एक * पाशक रामावझदुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी * For Private and Personal Use Only