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अर्थ-धर्म कल्पवृक्ष की फलपरिणति का हम क्या वर्णन करें? उसके प्रभाव से विशाल राज्य, सौभाग्यवती पत्नी, पुत्र-पौत्रादि, लोकप्रिय रूप, सुन्दर काव्य-रचना का चातुर्य, असाधारण सुन्दर वक्तृत्व, नीरोगता, गुरण की पहचान, सज्जनत्व तथा सुन्दर बुद्धि आदि की प्राप्ति होती है ।। १३१ ।।
विवेचन धर्म कल्पवृक्ष के फल
धर्म के माहात्म्य का वर्णन करते हुए पूज्य उपाध्यायजी म. फरमाते हैं कि धर्म तो कल्पवृक्ष के समान है। जैसे—कल्पवृक्ष से मुंहमांगी वस्तुओं की प्राप्ति हो जाती है उसी प्रकार धर्म में भी समस्त वस्तुओं को प्रदान करने की ताकत रही हुई है ।
धर्म के प्रभाव से विशाल साम्राज्य की प्राप्ति होती है। चक्रवर्ती और देव-देवेन्द्र की समृद्धि भी धर्म के प्रभाव से सुलभ हो जाती है।
हाँ, इतना ख्याल रखें कि धर्म में चक्रवर्ती पद देने की ताकत है, किन्तु उसके फलरूप चक्रवर्ती पद की इच्छा महाअनर्थकारी है।
सम्भूतिमुनि घोर तप साधना करते थे। एक बार सनत्कुमार चक्रवर्ती अपने परिवार के साथ उन्हें वन्दन के लिए आये। अनजाने में मुनि को स्त्री-रत्न की केशलताओं का स्पर्श हो गया
और एक गजब आश्चर्य बन गया। स्त्रीरत्न की केशलताओं के स्पर्श ने तपस्वी मुनि के देह में कामाग्नि प्रगट कर दी और वे निदान कर बैठे "इस तप का कोई फल हो तो आगामी भव में मैं चक्रवर्ती बनू और स्त्रीरत्न का भोक्ता बनूं।"
शान्त सुधारस विवेचन-१६