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आयुष्य दो सागरोपम है तथा ईशान देवलोक के देवों का जघन्य आयुष्य १ पल्योपम से कुछ अधिक है तथा उत्कृष्ट प्रायष्य दो सागरोपम से कुछ अधिक है।
किल्बिषिक-पहले-दूसरे देवलोक के नीचे किल्बिषिक देवों के विमान हैं। ये देव हल्की जाति के कहलाते हैं। इन देवों का उत्कृष्ट आयुष्य तीन पल्योपम है ।
किल्बिषिक-पहले-दूसरे देवलोक के ऊपर दूसरे किल्बिषिक के विमान हैं। इनका उत्कृष्ट आयुष्य तीन सागरोपम है।
३-४. सनत्कुमार-माहेन्द्र-सनत्कुमार देवलोक में १२ लाख विमान हैं। इनका जघन्य प्रायुष्य दो सागरोपम और उत्कृष्ट अायुष्य ७ सागरोपम है। ये देव स्पर्श कर मैथुन सेवन करते हैं।
माहेन्द्र देवलोक में ८ लाख विमान हैं। इन देवों का जघन्य आयुष्य २ सागरोपम से अधिक और उत्कृष्ट प्रायुष्य ७ सागरोपम से अधिक है।
५. ब्रह्मदेवलोक-इस देवलोक में चार लाख विमान हैं। इन देवों का जघन्य अायुष्य ७ सागरोपम और उत्कृष्ट प्रायुष्य १० सागरोपम है।
किल्बिषिक-ब्रह्मदेवलोक के ऊपर और लान्तक देवलोक के नीचे तीसरे किल्बिषिक देवों के विमान हैं। उनका उत्कृष्ट आयुष्य १३ सागरोपम है। '
६. लान्तक-ब्रह्मदेवलोक के ऊपर छठा लान्तक देवलोक
शान्त सुधारस विवेचन-४७