________________
अत्यन्त भूख लगी है, चारा थोड़ी सी दूरी पर पड़ा है, परन्तु खूटे से बँधे होने के कारण वह बैल चारा नहीं खा पाता है और उसे भूख-प्यास सहन करनी ही पड़ती है ।
- उन गाय, भैंस, बैल, बकरे, बकरी प्रादि की कैसी दयनीय स्थिति है ? जब तक उनसे अपने स्वार्थ की सिद्धि होती है, तब तक तो उन्हें अनुकूल चारा आदि दिया जाता है और उसके बाद उनकी कौन परवाह करता है ? या तो वे वैसे ही भूखे-प्यासे प्रारण छोड़ देते हैं, अथवा उन्हें कत्लखाने में भेज दिया जाता है।
इस संसार में नरक के जीवों की भी कैसी भयंकर दर्दनाक स्थिति है ? निरन्तर परमाधामी देवों के द्वारा उन्हें सताया जाता है। वे अपने रक्षण के लिए सतत उपाय शोधते रहते हैं, परन्तु कहीं भी उन्हें अपने रक्षण का उपाय नहीं मिल पाता है." इस कारण ही वे मृत्यु की इच्छा करते हैं ।
देवों की दुनिया भी कोई अनुमोदनीय नहीं है। राग-द्वेष, लोभ और ईर्ष्या के फन्दे में फंसे देवों की स्थिति भी अत्यन्त दयनीय ही है।
सुख में पागल होकर वे अपनी आत्मा की अधोगति खड़ी कर रहे हैं।
अनार्य आदि देशों में जन्म प्राप्त मनुष्यों की भी स्थिति कहाँ अच्छी है ? हिंसा, झूठ-व्यभिचार, शराब, मांसाहार आदि पापाचरण द्वारा वे अपनी आत्मा को दुर्गति के गर्त में डाल
धन्य तो वे आत्माएँ हैं, जिन्हें भाव से जिनशासन की प्राप्ति
शान्त सुधारस विवेचन-१२६