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बस, इस निदान के फलस्वरूप सम्भूतिमुनि को आगामी भव में चक्रवर्ती पद तो मिल गया; किन्तु वे अजरामर पद को खो बैठे।
धर्म के प्रभाव से सौभाग्यवती स्त्री, पुत्र-पौत्र आदि तथा अद्भुत काव्य-शक्ति, कण्ठ का माधुर्य, प्रारोग्यवन्त शरीर तथा अन्य अनेक गुणों की प्राप्ति होती है। शुभ चिन्तन में सहायक सद्बुद्धि की प्राप्ति भी धर्म के प्रभाव से ही होती है।
धर्म तो साक्षात् कल्पवृक्ष है। यह तो सब कुछ देने में समर्थ है, परन्तु अच्छा तो यह है कि इससे कुछ भी मांगो मत । धर्म के पास याचक बनकर मत जाओ, बल्कि सेवक बनकर जानो। जो धर्म को समर्पित है, उसे धर्म सर्वस्व देने के लिए तैयार है।
Men believe more from seeing than hearing. The way is long by precepts, short and effective by examples.
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सुधारस-२
शान्त सुधारस विवेचन-१७